डॉ. रामवीर
ये जो हो रहा है गलत हो रहा है मगर तंगनजरों को बड़ा भा रहा है।
भौंचक हूं भारत कहां जा रहा है पीते नहीं पर नशा हो रहा है।
नशे के लिए अब न दारू जरूरी कुछ जुमले हैं जिनका नशा हो रहा है।
नशाबंदी बंदे के बस की नहीं थी नोटबंदी पर ही इतरा रहा है।
इस की तरफ न उस की तरफ हैं हमें तो वतन का फिकर हो रहा है।
खेती किसानी पे संकट है भारी सिर्फ धर्म का ही जिकर हो रहा है।
मर्म धर्म का जो नहीं जानते हैं उन का ही पारा गर्म हो रहा है।
कहा वेद में था ‘मनुर्भव’ परन्तु मनुज ही यहां बेशर्म हो रहा है।