यश्वी क्या जाने मेडिकल कॉलेज का महत्व

यश्वी क्या जाने मेडिकल कॉलेज का महत्व
March 26 06:04 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज को देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थानों में शामिल कराने वाले डीन डॉ. असीम दास के तबादले पर सिटी प्रेस क्लब में खुशी का माहौल है। इसकी सदस्य यश्वी गोयल ने इसे अपनी बड़ी जीत बताते हुए इसका श्रेय क्लब अध्यक्ष बिजेंद्र बंसल और सदस्य अनिल अरोड़ा को दिया है। शहर से एक बड़ी हस्ती के जाने की खुशी यश्वी और क्लब के अन्य लोगों को इसलिए है क्योंकि डॉ. दास ने उनके गलत काम की हां मेंं हां नहीं मिलाई थी।

क्लब के व्हाट्सएप गु्रप पर यश्वी ने लिखा है कि ईएसआईसी मामले में सभी आरोपियों ने हाथ जोड़ कर माफी मांगी और लिखित में माफीनामा हमें दिया है। डीन का तबादला हुआ है।
मज़दूर मोर्चा के पुख्ता सूत्रों के अनुसार किसी ने कोई माफी नहीं मांगी है। यदि उनसे लिखित माफी मांगी गई है तो उन्हें माफीनामे को भी क्लब के ग्रुप में सार्वजनिक करना चाहिए था। बता दें कि ये वही डॉ. असीम दास थे जिन्होंने यश्वी के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और ऑन ड्यूटी कर्मचारी से मारपीट करने का केस दर्ज नहीं कराया, वरना यश्वी को उल्टे माफी मंगनी पड़ती। उनका मुगालता भी गलत है कि डॉ.दास का तबादला उनके अध्यक्ष और सदस्यों के कारण हुआ है। एक अच्छे शिक्षक-चिकित्सक-प्रशासक को कोई भी अपने संस्थान में रखना चाहेगा। इसी कारण श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र का संस्थान चमकाने के लिए बुलाया है, न कि छुटभैयों के कारण।

यश्वी गोयल कुछ दिन पहले मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और सिक्योरिटी से बिना अनुमति लिए कवरेज करने को वार्ड मेेंं घुसने का प्रयास कर रही थीं। महिला सुरक्षा गार्ड उन्हें अदर जाने से रोका तो यश्वी ने उसे थप्पड़ जड़ दिया। बताया जाता है कि इसके बाद महिला गार्ड ने भी यश्वी की पिटाई कर दी। इस घटना को सिटी प्रेस क्लब में पत्रकारों पर हमले के रूप में प्रचारित कर सनसनी फैलाई गई। इसके बाद डीन डॉ. असीम दास पर कार्रवाई का दबाव बनाया जाने लगा, उन्होंने जांच कराई तो गलती यश्वी की ही पाई गई थी। बावजूद इसके डीन ने महिला होने का सम्मान करते हुए उनके खिलाफ केस दर्जँ नहीं कराया।

यश्वी मज़दूरों इस अस्पताल का महत्व क्या समझेंगी। मज़दूरों के सहयोग से स्थापित इस अस्पताल में उन्हें और उनके परिवारों को वो चिकित्सा सुविधाएं मुहैया हो रही हैं जो तथाकथित फाइव स्टार निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी नहीं मिलतीं।

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Mazdoor Morcha
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