फरीदाबाद (म.मो.) बताने की जरूरत नहीं कि ‘हूडा’ विभाग में कोई भी काम बिना रिश्वतखोरी के नहीं होता। रिहायशी मकान हो या दुकान का कम्पलीशन प्रमाणपत्र तो बिना रिश्वत के दिया ही नहीं जाता, चाहे इमारत कितनी ही नियमानुसार बना ली जाय और यदि इमारत में कोई खोट हो तो फिर कहने ही क्या रिश्वत के रेट दो से दस गुणा तक बढ जाते हैं। इतनी मोटी रिश्वत लेकर ये अधिकारी उस भवन से होने वाले भयानक हादसे को भी नज़रंदाज़ कर देते हैं।
ऐसा ही एक मामला बीते सप्ताह देखने को मिला। सेक्टर 17 के मकान नम्बर 818 के निवासी तीन परिवारों ने ‘हूडा’ के सम्पदा अधिकारी व प्रशासक सहित अनेकों अधिकारियों को पत्र दिनांकित 15.9.21 लिख कर सूचित किया कि उनके बगल वाले प्लॉट नम्बर 817 में बिल्डर मनजीत सिंह ने किस तरह उनकी 9 इंची सांझी दीवार की नींव को काट कर उनके लिये भयंकर खतरा पैदा कर दिया है। फिलहाल तो उनके फर्श ही दबाव के कारण उखड़े हैं, यदि समय रहते इसका वाजिब उपाय न किया गया तो और भी भयंकर दुर्घटना हो सकती है।
समझने वाली बात यह है कि ‘हूडा’ नियमों के अनुसार दो प्लॉटों के बीच बनने वाली 9 इंची दीवार दोनों की सांझी होती है। बाद में मकान बनाने वाला पहले वाले, यानी जिसने दीवार बनाई थी, को आधे पैसे देता है। पैसे लेने के बाद पहला व्यक्ति दूसरे को एनओसी देता है; जिसके बिना ‘हूडा’ कम्पलीशन जारी नहीं कर सकता। उक्त मामले में मनजीत सिंह को 818 वाले को सांझी दीवार के पैसे देकर एनओसी लेना चाहिये था; लेकिन उसने, बिना एनओसी लिये ही तुर्त-फुर्त कम्पलीशन ले लिया। जबकि उसका पांच मंजिला मकान अभी पूरा भी नहीं हुआ था।
उसे यह फुर्ती इसलिये दिखानी पड़ी कि उसने मूर्खता एवं तकनीकी ज्ञान की कमी के चलते सांझी दीवार की नींव को भारी नुक्सान पहुंचा दिया था। विदित है कि 9 इंची दीवार जो बाहर से दिखती है, उसका आसार ज़मीन के भीतर तीन से चार गुणा यानी 27 से 36 ईंच तक हो सकता है। अब दीवार क्योंकि सांझी है, ऊपरी तौर पर तो साढे चार इंच एक प्लॉट में तो साढे चार ईंच दूसरे प्लॉट में नज़र आती है जबकि जमीन के नीचे 27 या 36 इंच जो नज़र नहीं आता वह भी दोनों प्लॉटों में आधा-आधा ही रहेगा। यहां 817 के बिल्डर मनजीत सिंह ने अल्पज्ञान के चलते अपने प्लॉट में भूमिगत नींव के 18 इंच को एक सिरे से दूसरे सिरे तक पूरी तरह से काट दिया। अब 9 इंच सांझी दीवार में नींव कटने के बाद इतनी मजबूती नहीं रहती कि वह अपने ऊपर बनी तीन मंजिलों का भार सह सके। लिहाज़ा दीवार थोड़ी खिसकी जिससे 818 वालों के अभी तो केवल फर्श उखड़े हैं, यदि समय रहते उपाय न किये गये तो दीवार ढह भी सकती है।
जब 818 वालों ने इस बाबत मनजीत को शिकायत की तो वह अपनी मूर्खता को समझ गया लेकिन उसे स्वीकारने की बजाय उसने उनको उसकी ओर मोड़ दिया जिससे उन्होंने दो-तीन साल पहले यह मकान खरीदा था। मकान नम्बर 818 बेचने वाले ने उन्हें तकनीकी तौर पर समझाने के अलावा यह भी बताया कि उन्होंने 34 साल पहले यह मकान अपने खुद के रहने के लिये बनाया था न कि बेच कर पार हो जाने के लिये। बीते 34 साल में तो इसका कुछ नहीं बिगड़ा, आज यकायक कैसे यह बिगडऩे लगा है?
उधर मनजीत सिंह ने स्थिति भांपते हुए, बिना काम पूरा हुए ही तुर्त-फुर्त कम्पलीशन ले लिया। एक और मजे की बात यह भी सामने आई कि 818 वालों की शिकायत पर ‘हूडा’ के दो जेई मौका मुआयना करने आये। समझ तो वे भी सब कुछ गये थे परन्तु जब रुपयों से मुंह भर दिया हो तो वे बोलते क्या? परन्तु आये थे तो कुछ तो बोलना जरूरी था, लिहाजा 818 वालों से बोले कि जब बिल्डर नींव काट रहा था तो उसे रोका क्यों नहीं, उसी वक्त शिकायत क्यों नहीं की? इसी को तो कहते हैं रिश्वतखोरी का कमाल। उनके कहे अनुसार तो पड़ोसी ही बिल्डर की रखवाली करते, उसके प्लॉट में घुस कर रोज़ाना निगरानी करते। लेकिन इस बात का उनके पास कोई जवाब नहीं था कि 818 वालों से एनओसी लिये बगैर ‘हूडा’ ने कम्पलीशन दे केसे दिया?
दरअसल, इस खतरनाक हद तक का भ्रष्टाचार करने के लिये अकेले जेई एवं एसडीओ सर्वे जिम्मेदार नहीं हैं, इनके ऊपर तक बैठे तमाम अफसर इस लूट में साझेदार रहते हैं। लूट के इन पदों पर नियुक्ति मुफ्त में ही नहीं हो जाती, सम्बन्धित अफसर व राजनेताओं की भेंट-पूजा करने के बाद जो नियुक्ति होती है उसे बनाये रखने के लिये भी नियमित भेंट-पूजा करते रहना पड़ता है, वरना दूसरे और भी कई लाइन में लगे खड़े हैं जो और भी ज्यादा भेंट-पूजा की थाली लिये हुए हैं। फिर भी इस संवाददाता ने दिनांक 20.9.21 को सम्पदा अधिकारी विशाल ढांडा को 7206002193 पर फोन करके उनकी ओर से कार्यवाही बारे जानना चाहा तो उनका एसएमएस आया कि वे मीटिंग में व्यस्त हैं, टैक्स्ट भेजें। जवाबी एसएमएस द्वारा उन्हें मसले की जानकारी व 15.9.21 वाली शिकायत की फोटो भेज दी गयी।
सम्पदा अधिकारी को 20 सितम्बर को इस बाबत फोन करके उनका वर्जन जाना चाहा तो उन्होंने एसएमएस करके कहा कि टैक्सट भेजें। इस संवाददाता ने उन्हें एसएमएस करके सारा केस बता दिया। उसके बावजूद बार-बार फोन करने पर भी उन्होंने फोन नहीं उठाया। समझा जा सकता है कि इस धंधे में नीचे से ऊपर तक सब मिले हुए हैं।