विजीलेंस की सक्रियता तो सराहनीय है लेकिन कार्यवाही एक विभाग विशेष को घेरने से आगे क्यों नहीं बढ़ती?

विजीलेंस की सक्रियता तो सराहनीय है लेकिन कार्यवाही एक विभाग विशेष को घेरने से आगे क्यों नहीं बढ़ती?
April 04 09:48 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
जब से शत्रुजीत कपूर ने राज्य विजीलेंस ब्यूरो का काम सम्भाला है तब से ब्यूरो के काम-काज में अति सक्रियता नज़र आने लगी है। अब तक ब्यूरो ने जितनी छापेमारी व पकड़-धकड़ की है उसमें से आधे से अधिक उन विभागीय अधिकारियों पर की है जो मुख्यमंत्री खट्टर के राजनीतिक प्रतिद्वंदी, कैबिनेट मंत्री अनिल विज के अधीन रहे हैं। विजीलेंस का सक्रिय होना और दिन-प्रति दिन एक से बढ़ कर एक भ्रष्ट अफसरों को दबोचना वास्तव में ही प्रशंसनीय है; लेकिन जब यह सक्रियता स्थानीय स्वशासन व नगर योजनाकार विभागों तक आकर ही रुक जाती है तो संशय का उठना स्वाभाविक है।

इसी सप्ताह भिवानी नगर परिषद के दो उच्चाधिकारियों को विजीलेंस विभाग ने बड़े फुर्ती से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। गौरतलब है कि इन दोनों अधिकारियों ने करीब दो-दो करोड़ के दो चेक प्राईवेट खाते में अवैध रूप से दिये थे। इस पार्टी ने नगर परिषद के लिये न तो कोई काम किया था और न ही किसी प्रकार की बिलिंग आदि की गई थी। सबसे मजेदार बात तो यह है कि स्थानीय जि़ला पुलिस ने इस लेन-देन को लेकर दोनों अधिकारियों के विरुद्ध बाकायदा आपराधिक मुकदमा दर्ज कर रखा था। इसके बावजूद हफ्तों तक पुलिस ने उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की। विजीलेंस ने यकायक चील की तरह झपट्टा मारकर केस को अपने हाथ में ले लिया और दोनों को जेल की ओर रवाना कर दिया।

यह घटना क्या संदेश दे रही है, समझना जरूरी है। नगर परिषद का विभाग पहले अनिल विज के पास था। इस नाते उनके लगुए-भगुए एवं सेवादार लूट-खसूट मचाये हुए थे। मामला सामने आने पर स्थानीय पुलिस को उनके विरुद्ध मुकदमा तो दर्ज करना पड़ा लेकिन इससे आगे पुलिस नहीं बढ़ पाई। क्यों? क्योंकि पुलिस महकमा अनिल विज के आधीन है। दूसरी ओर विजीलेंस सीधे तौर पर मुख्यमंत्री खट्टर के आधीन हैं, लिहाजा बिना कोई समय गंवाये खट्टर के विजीलेंस ने विज के पाले-पोसे गुर्गों को धर दबोचा।

राजनीतिक विश्लेषक इस प्रकरण को भाजपा बनाम संघ के चश्मे से देखने का प्रयास करते हैं। ये लोग मान कर चल रहे हैं कि विज संघ के बल-बूते अपनी दादागिरी चलाना चाहते हैं तो दूसरी ओर खट्टर के ऊपर उच्च भाजपा नेतृत्व का वरदहस्त है। लिहाजा खट्टर महाशय विज को लंगड़ी मारने का कोई मौका नहीं चूकते। लंगड़ी भी ऐसे मारते हैं कि विज बेचारे हाय भी न कर सकें। करनाल नगर निगम के एसई और उसके बाद डीटीपी को पकडऩे में तो विजीलेंस ने अच्छी-खासी प्रशंसनीय चुस्ती-फुर्ती दिखाई थी जो तहसीलदार तक तो कायम रह पाई लेकिन जब आंच वहां के डिप्टी कमिश्नर तक पहुंचने लगी तो खट्टर ने विजीलेंस के ब्रेक दबा दिये। इतना ही नहीं भ्रष्टाचार में लिप्त उस डीसी को करनाल से भी बेहतर उपजाऊ एवं मलाईदार जि़ला  गुडगाव सौंप दिया। और तो और करनाल की लूट में उनका बयान लेने के लिये गुडग़ांव जाने वाली विजीलेंस टीम को भी ठपक दिया गया। मतलब साफ है कि पकडऩा केवल विज के गुर्गों को ही है। हाय बेचारे विज करे तो क्या करे, ठाडा पीटे और रोने भी न दे।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles