करनाल (मज़दूर मोर्चा) चुनावों में हार को स्पष्ट देखते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने स्थानीय दशहरा ग्राउंड में ‘विजय संकल्प रैली’ का आयोजन करके जनता को बेवकू$फ बना कर वोट झटकने का पुरजोर प्रयास किया। अपने दस साल की उपलब्धियां गिनाने की अपेक्षा अमितशाह के पास मुद्दों के नाम पर केवल, जय श्री राम, हिन्दु-मुस्लिम, कश्मीर की धारा 370 व पाकिस्तान आदि के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। अमित शाह अपनी सरकार की उपलब्धियों में न तो ‘नोट बंदी’ का जिक्र करते हैं और न ही ‘अग्रीवीर’ के बारे में कोई बात करते हैं। प्रत्येक नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये डालने व प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियों का वायदा तो ऐसे गायब हो गये जैसे गदहे के सिर से सिंह। इसके विपरीत वे विपक्ष पर मुद्दा विहीन राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। मतलब स्पष्ट है कि अमित शाह को देश का लोकतंत्र व संविधान बचाना, बेरोजगारी व महंगाई दूर करने जैसे मुद्दे शायद नजर ही नहीं आते। हरियाणा की किसानों व जवानों की प्रशंसा करते हुए अमित शाह ने यह तो माना कि देश को अन्न देने साथ-साथ भारतीय सेना को सैनिक देने में भी हरियाणा नम्बर वन है। इसके अलावा उन्होंने खेलों में हरियाणा के खिलाडिय़ों की उपलब्धियों को स्वीकारा। लेकिन अमित शाह यह बताना भूल गये कि किसान आन्दोलन के समय किस प्रकार उनकी सरकार ने इन किसानों को आतंकवादी बता कर दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक बिठाये रखा था।
देश की रक्षा का अरमान मन में रखने वाले जवानों के लिये उनकी सरकार ने जो अग्रिपथ योजना तैयार की है उस पर भी तो गृहमंत्री महोदय को कुछ रोशनी डालनी चाहिये थी। देश के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्प्रर्धाओं में पदक लाने वाली जिन महिला पहलवानों को अमित शाह की पुलिस ने दिल्ली की सडक़ों पर घसीटा था उस पर भी ये चुप ही रहे।
खट्टर की प्रसंशा करते हुए अमित शाह ने कसीदे गढते हुए कहा कि उन्होंने दस साल में हरियाणा की बेमिसाल सेवा की है। नौकरियों की बिक्री बंद कर दी गई थी। लेकिन हकीकत यह है कि हरियाणा सरकार के चार लाख स्वीकृत पदों में से दो लाख खाली पड़े हैं। तमाम सरकारी दफ्तरों में ठेकेदारी पर काम करने की नौटंकी हो रही है। भर्ती घोटाले की हकीकत तो इसी बात से समझी जा सकती है कि हरियाणा लोकसेवा आयोग का अतिरिक्त सचिव अनिल नागर ….करोड़ों रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगों हाथों पकड़ा गया था। फार्मेसी कॉउंसिल का चेयरमैन धनेश अधलखा, फार्मासिस्टों के रजिस्टेशन करने के लिये लाखों की वसूली करते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भी छ़ट्टा घूम रहा है। संक्षेप में खट्टर राज में हर महकमा लूट का केन्द्र बनकर रह गया।
झूठ बोलने में माहिर संघ प्रशिक्षित अमित शाह ने मोदी का भी रिकॉर्ड तोड़ते हुए कहा कि खट्टर ने अपने कार्यकाल में 12 एक्सप्रेस-वे, 77 कॉलेज, 13 यूनिवर्सिटी, आठ मेडिकल कॉलेज, दो एयरपोर्ट और 16 नए अस्पताल खोलने का काम किया है। सर्वविदित है कि करनाल और हिसार में एयरपोर्ट के नाम पर दो फ्लाइंग कल्ब 1965 से ही कार्यरत हैं। खट्टर के इस कार्यकाल में उक्त-घोषित कोई भी काम नहीं हुआ है। पहले से ही मौजूद कुछ कॉलेजों के ऊपर यूनिवर्सिटी का फट्टा जरूर लगा दिया गया है। कुछ कॉलेजों की आधी-अधूरी इमारतें जरूर खड़ी कर दी गईं हैं। दिन में न स्टा$फ है और न ही पढने-पढाने का कोई वातावरण। मेडिकल कॉलेज तो एक भी नहीं खोला गया, जो बना-बनाया मेडिकल कॉलेज इन्हें छांयसा में मिल गया उस पर अटल बिहारी का फट्टा जरूर लगा दिया और वह भी इनसे चल नहीं पा रहा। इतना ही नहीं तमाम पुराने मेडिकल कॉलेजों में आधे से अधिक पद रिक्त पड़े हैं।
काम-काज तो कुछ किया नहीं खट्टर सरकार ने लेकिन राज्य के ऊपर कर्जे का भारी-भरकम बोझ जरूर लाद दिया है। पहली नवम्बर 1966 को बने हरियाणा पर 31 मार्च 2014 तक 89 करोड़ कर्जा था जो अब 31 मार्च 2024 तक बढक़र 2 लाख 43 हजार करोड़ हो चुका है। सवाल यह पैदा होता है कि इतनी बड़ी रकम क्या अकेले खट्टर जी पी गये या इसमें अमित और मोदी का भी हिस्सा रहा होगा, क्योंकि काम तो कोई राज्य में हुआ दिखता नहीं।