फरीदाबाद (म.मो.) बीते कई वर्षों से स्थानीय निकाय स्वशासन यानी नगर निगमों आदि का विभाग मुख्यमंत्री खट्टर की कुर्सी पर नजर जमाए अनिल विज के कब्जे में रहा है। इस विभाग में मौज यह रही है कि सडक़ें, सीवर, स्ट्रीट लाइट, पेय जल आपूर्ति व सफाई आदि के नाम पर सैंकड़ों करोड़ हड़प लो या हजारों करोड़ कोई पूछने वाला नहीं। यदि कोई पूछने वाला अधिकारी किसी को पूछ ले तो विज का दफ्तर उसे ससम्मान बरी करता रहा है। इतना ही नहीं, उचित फीस चुकाने पर पदोन्नति भी साथ में मिलती रही है।
कई कमाऊ पूत तो विज को इतने प्रिय रहे हैं कि सेवा निवृत्ति के बाद भी उन्हें सेवा निवृत्त नहीं किया गया। वाजिब ‘फीस’ लेकर उन्हें लूट कमाई करने के लिये अतिरिक्त सेवा विस्तार दिया जाता रहा है। ऐसे अनेकों कमाऊ पूतों का ब्योरा ‘मज़दूर मोर्चा’ यथा समय प्रकाशित करता रहा है। ऐसे ही बिना डिग्री के दो चीफ इन्जीनियर रिश्वत लेते रंगे हाथों विजिलेंस द्वारा अभी कुछ दिन पहले ही गिरफ्तार किये गये हैं। इनमें से एक करनाल नगर निगम से तथा दूसरा फरीदाबाद नगर निगम से पकड़ा गया था।
सोचने वाली बात यह है कि बीसियों-तीसियों वर्षों से लूट कमाई करने वाले ये अधिकारी अभी क्यों पकड़े गये? क्या अब तक इन्हें विज का संरक्षण प्राप्त था और अब नये मंत्री कमल गुप्ता को ये लोग रास नहीं आ रहे थे? या फिर कमल गुप्ता ने अपने आने व अपना सिक्का जमाने की नीयत से इस पकड़-धकड़ के लिये हरी झंडी दिखाई थी? या फिर सीएम खट्टर के इशारे पर इन्हें पकड़वा कर विज को यह दिखाने का प्रयास किया है कि उनके महकमे में, उनके रहते कितना भ्रष्टाचार पनप रहा था सच्चाई जो भी हो जनता के धन की लूट ज्यों की तयों बरकरार है।
खट्टर और विज के बीच जो घमासान चल रहा है वह जगजाहिर है। इस हककीत को जनता से छुपाने के लिए विज और खट्टर एक साथ खड़े होकर फोटो सैशन कराते हैं और ड्रामेबाजी करते हुए कहते हैं कि हम दोनों एक है हम दोनों का लक्ष्य एक है हमारे बीच कोई मनभेद नहीं है। गृहमंत्री के नाते विज महोदय फरमाते हैं कि उन्हें बलात्कारी एवं हत्यारे बाबे राम-रहीम की पेरौल व जेड प्लस सुरक्षा के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। यदि यह सच है तो फिर वह गृह मंत्रालय क्यों घेरे बैठे हैं।