विधायक सीमा त्रिखा अध्यापकों की कमी देखने स्कूल नहीं पहुंची

विधायक सीमा त्रिखा अध्यापकों की कमी देखने स्कूल नहीं पहुंची
September 11 14:56 2022

फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस के अवसर पर एनएच एक नम्बर के एक निजी स्कूल में विधायक सीमा त्रिखा ने अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी से इनकार किया था। इस पर ‘मज़दूर मोर्चा’ संवाददाता शेखर दास ने जब एनएच तीन स्थित सीनियर सेकेन्डरी संस्कृति मॉडल विद्यालय में अध्यापकों की कमी बताई तो वे मानने को तैयार नहीं थी। ‘मोर्चा’ के दावे को झूठा सिद्ध करने के लिये उन्होंने बुधवार 10 बजे शेखर दास को अपने सामने उक्त स्कूल में आने को कहा था।

शेखर तो पहुंच गये, लेकिन विधायक महोदया नहीं पहुंची। इन्हें तो पहुंचना भी नहीं था क्योंकि वे तो सच्चाई को जानती ही थी, हां झूठ बोलना उनकी सांस्कृतिक मजबूरी है। भाजपा में झूठ बोलने वाली सीमा कोई अकेली थोड़े ही हैं, झूठ बोलना तो उनका संवैधानिक दायित्व है। भाजपाई बखूबी समझते हैं कि झूठ बोलते जाओ, जब तक सच पहुंचेगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। परन्तु इस मामले में तो शेखर ने देर होने नहीं दी और तुरन्त ही उक्त विद्यालय में पहुंच कर सिद्ध कर दिया कि नौवीं जमात से बारहवीं जमात तक के लिये कुल 30 अध्यापकों के पद स्वीकृत हैं, इनमें से 19 का तबादला कर दिया गया है। अब शेष केवल 11 अध्यापक हैं जो 800 बच्चों को पशुओं की तरह बाड़े में घेर कर रखेंगे।

इसी तरह छठी जमात से आठवीं तक के 300 बच्चों के लिये 10 अध्यापकों के पद स्वीकृत हैं। इनमें से एक भी तैनात नहीं है। काम चलाने के लिये यानी जनता को बहकाने के लिये अस्थायी तौर पर मात्र दो गेस्ट अध्यापक रखे गये हैं। इन तथाकथित मॉडल स्कूलों के लिये 30 बच्चों का एक सेक्शन बनाना चाहिये लेकिन यहां तो किसी भी सेक्शन में 50 से कम बच्चे नहीं हैं। यह बदहाली तो खट्टर सरकार के उन मॉडल स्कूलों की है जिनके लिये सरकार अपनी पीठ थपथपाती नहीं अघाती। इतना ही नहीं इन स्कूलों में दाखिला भी बड़ी सिफारिशों से मिलता है और फीस भी 500 रुपये मासिक हैं। इस सबके बावजूद हालात पाठकों के सामने हैं।

शेष बचे उन हजारों सरकारी स्कूलों की बदहाली क्या होगी उसका अंदाजा पाठक स्वयं लगा सकते हैं। अब ऐसे स्कूलों में कोई अपने बच्चों को भेजे तो क्यों भेजे? वे कोई भेड़-बकरी तो हैं नहीं जिन्हें बाड़े में घेर कर बैठाये रखने के लिये ‘स्कूल’ भेजा जाये। ऐसे हालात में ज्यों ही बच्चे स्कूल आना बंद करते हैं तो सरकार को स्कूल बंद करने का बहाना मिल जाता है। एनएच तीन के उक्त मॉडल स्कूल में भी जब बच्चे आना बिल्कुल बंद कर देंगे तो सरकार इसे औने-पौने में किसी शिक्षा व्यापारी को बेच देगी

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Mazdoor Morcha
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