फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) लोकसभा चुनाव में प्रदेश की आधी सीटें गंवाने के बाद भाजपाइयों को समझ में आ गया कि सिर्फ ढिंढोरेबाजी और हिंदू मुस्लिम किया तो जनता बख्शेगी नहीं। दस साल तक खट्टर ने खूब जुमलेबाजी की लेकिन न तो कोई विकास कराया, न युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था की, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का ढिंढोरा पीटा लेकिन उद्योग बढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं की। श्रम कानूनों में कटौती करके मज़दूर-कर्मचारियों के हक़ पर डाका डाला तो काले कृषि कानून लागू करने के समर्थन में किसानों पर हर प्रकार से अत्याचार किए। कुल मिला कर मोदी-खट्टर की डबल इंजन सरकारों का दस साल का कार्यकाल प्रदेश की जनता को कुछ खास नहीं दे सका। लोकसभा चुनाव में तो मोदी को लग गया कि यदि खट्टर सीएम रहा तो दस की दसों सीटें चली जाएंगी, इसलिए आनन फानन खट्टर को हटा कर दूसरी कठपुतली के रूप में सैनी को सीएम बना कर बैठाया।
हाल ही में सीएम बने सैनी जनता के बीच कोई खास प्रभाव नहीं डाल सके हैं। संघ और भाजपा को समझ में आने लगा है कि राम मंदिर, छद्म राष्ट्रवाद और धर्मांधता की अफीम अब काम नहीं कर पाएगी तो अब मुफ्त की रेवडिय़ां और विकास के लारे लप्पे दिए जा रहे हैं। समय रहते तो कुछ किया नहीं अब आचार संहिता लगने का वक्त सिर पर आया तो सीएम से लेकर अधिकारी तक रोज विकास योजनाओं की घोषणा करने में लगे हैं, सच्चाई ये है कि चुनाव समाप्त होने के साथ ही ये योजनाएं और घोषणाएं भी सिर्फ कागजों में ही रह जाएंगी। गैर भाजपा सरकारों द्वारा जनता को दिए जाने वाली सब्सिडी या अन्य योजनाओं के लाभ को मुफ़्त की रेवडिय़ां बताने वाली भाजपा के प्रधानमंत्री मोदी से लेकर यूपी के सीएम योगी ने विधानसभा चुनाव से पहले गरीबों को लुभाने के लिए मुफ्त राशन योजना जोर शोर से शुरू की थी। भारी विरोध के बावजूद यूपी में फिर से सत्ता हासिल करने का कारण मुफ़्त राशन योजना मानी गई थी। इसीलिए मोदी ने इसे लोकसभा चुनाव से पहले 2029 तक बढ़ाने की घोषणा की थी। इन्हीं वोटरों को लुभाने के लिए सैनी सरकार ने भी ताबड़तोड़ बीपीएल कार्ड बनाने शुरू कर दिए हैं। सरकारी आंकड़ोंं के अनुसार केवल जून 2024 में प्रदेश में 1 लाख 35 हजार 189 परिवारों के बीपीएल कार्ड बनाए गए हैं।
फरीदाबाद में भी इसी माह 11,597 राशन कार्ड गए। खाद्य आपूर्ति विभाग के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अनाधिकारिक रूप से सरकार का आदेश है कि जितने भी आवेदन आएं, सत्यापन किए बिना बीपीएल कार्ड जारी कर उन्हें राशन दिया जाए। सुधी पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भी इसी तरह अंधाधुंध बीपीएल और अंत्योदय कार्ड बनाकर राशन बांटा गया था। चुनाव समाप्त होने के बाद सीएम योगी ने अपात्र राशनकार्ड धारकों का सत्यापन कर उन्हें जारी किए गए राशन की कीमत वसूलने का आदेश जारी किया था। यहां भी बिना सत्यापन के बीपीएल कार्ड शायद इसीलिए बनवाए जा रहे हैं कि चुनाव में वोट हासिल करने के बाद उन्हें न केवल दूध में मक्खी की तरह निकाल दिया जाएगा बल्कि उनसे वसूली भी कर ली जाएगी।
सीएम सैनी ने हूडा के 15 हजार प्लॉट बेचने की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि हूडा के पास 70 हजार प्लॉट हैं इनमें से पंद्रह हजार की बिक्री की जाएगी। खट्टर ने बिल्डर और प्राइवेट कॉलोनाइजर लॉबी को खुश करने के लिए दस साल तक हूडा की स्कीमों को परवान नहीं चढऩे दिया। चुनाव आते ही अब वोटरों को लुभाने के लिए हूडा के प्लॉट न्यौछावर किए जा रहे हैं। एन्हांसमेंट के विवाद के कारण दस साल से फंसे प्लॉट मालिकों को भी राहत देने का ऐलान सरकार ने किया है। खास बात ये है कि सरकार ये सारी सुविधाएं तीन महीने यानी विधानसभा चुनाव से पहले ही देने पर उतारू है। समझा जा सकता है कि इसका उद्देश्य भी वोट हासिल करना ही है।
दस साल में खाली हुए सरकारी पदों पर भर्ती नहीं करने और ठेका कर्मचारियों से काम चलाने वाली भाजपा सरकार, बताया जा रहा है कि चुनाव से पहले हरियाणा कौशल रोजगार निगम एचकेआरएन के जरिए बंपर भर्तियां निकालने वाली है। सरकार के करीबियों के अनुसार 16 जुलाई और इसके बाद भर्तियों की घोषणाएं शुरू हो जाएंगी। सरकार केवल पदों का ऐलान करेगी, उसके बाद भर्ती प्रक्रिया के दौरान पर्चा लीक होंगे, कोर्ट जाने के रास्ते भी छोड़े जाएंगे और सरकार युवाओं को चुनाव के बाद कुछ करने का आश्वासन देकर अपना काम निकालेगी। चुनाव समाप्त होने के बाद भर्तियां अगले चुनाव तक ठंडे बस्ते में डाल दी जाएंगी।
सिर्फ सरकार ही नहीं सरकार के ताबेदार प्रशासनिक अधिकारी भी अपनी नौकरी कायम रखने के लिए सरकार के इस पाखंड में जम कर सहयोग दे रहे हैंं। जो एफएमडीए सेक्टर 15 -15ए और 14-15 की विभाजक सडक़ें समय पर और मानक के अनुरूप नहीं बनवा सका, दो साल में सीवर लाइनें नहीं साफ करवा पाया, पेयजल आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त नहीं कर पाया, उसके अधिकारी पांच हजार करोड़ से लेकर पंद्रह हजार करोड़ की परियोजनाएं जल्द ही शुरू होने का बाजा बजाने में जुटे हैं। एफएमडीए अधिकारियों के अनुसार पूर्वी और पश्चिमी फरीदाबाद की कनेक्टिवटी के लिए पांच हजार करोड़ रुपये की परियोजना को सीएम सैनी ने बुधवार को मंजूरी दे दी है।
यही नहीं 2600 करोड़ रुपये खर्च कर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था में सुधार लाने का भी ऐलान किया गया है। एफएमडीए अधिकारियों के अनुसार 2600 करोड़ रुपये से 22 नए रेनीवैल, रिवर्स रोटरी तकनीक आधारित 70 ट्यूबवेल और 8 बूस्टिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। अन्य बूस्टिंग स्टेशनों तक भी पानी की आपूर्ति करने के लिए सब्सिडरी बूस्टिंग स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा साथ ही लगभग 500 किलोमीटर पाइप लाइन भी बिछाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से जलापूर्ति क्षमता 450 एमएलडी पहुंच जाएगी। वर्ष 2028-2029 तक इस बड़ी परियोजना के पूरा होने के बाद फरीदाबाद में रेनीवेल की संख्या 56 और 220 ट्यूबवेल हो जाएंगे। डेढ़ वर्ष पहले खट्टर भैया न कईे हजार करोड़ की ऐसी ही हवाई घोषणा करते हुए सेक्टर 22 में बूस्टर का उद्धाटन किया था लेकिन आज तक लोगों को रोजाना पानी नहीं दिया जा पा रहा है।
इसके साथ ही पहले से बने सूर्य देवता भूमिगत टैंक पर फिर से 26 करोड़ रुपये खर्च कर इसका लोकार्पण किया था, तब खट्टर ने बताया था कि डबुआ कॉलोनी, जवाहर कॉलोनी, उडिय़ा कॉलोनी, गाजीपुर की सत्तर हजार आबादी को पानी मिलेगा। उसके चालू होते ही सारी पाइप लाइनें फट गईं और मामला जहां का तहां आज भी खड़ा है। अपनी ऐसी ही फजीहत से बचने के लिए सैनी साहब ने मोदी के पदचिह्नों पर चलते हुए साल दो साल के बजाय वर्ष 2028-29 तक का समय निर्धारित कर दिया है ताकि इस दौरान उनसे कोई पूछताछ न की जा सके।
बताते चलें कि वर्तमान में शहर में करीब 320-350 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति की जा रही है, केवल 100-120 एमएलडी अतिरिक्त पानी लाने के लिए एफएमडीए 500 किलोमीटर पाइप लाइन, 50 ट्यूबवेल, 22 रैनीवेल और आठ बूस्टिंग स्टेशन लगाएगी। बताते चलें कि पूरे शहर में समान रूप से जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन स्काडा सिस्टम पहले से ही लगा हुआ है। इस आधुनिक व्यवस्था को तो संभाला नहीं जा पा रहा लेकिन 2600 करोड़ के प्लान का झुनझुना बजाया जा रहा है।
नगर निगम की नई इमारत और राजा नाहर सिंह स्टेडियम निर्माण के लिए भी फिर से करोड़ों रुपयों का खर्च बनाया गया है। जानकारों के अनुसार हर स्कीम में इतना ज्यादा बजट बताया गया है कि बिना पूर्ण अध्ययन के किसी को भी मंजूरी मिलना मु्श्किल है, यदि मंजूरी दी गई है तो इसे महज चुनावी घोषणा ही समझना चाहिए, यदि सरकार सच में यह प्रोजेक्ट बनवाना चाहती है तो निश्चित ही चुनाव के बाद इनका एस्टीमेट दोबारा बनवाया जाएगा। चुनावी मौसम में सरकार मंजूरी देने की घोषणा तो कर सकती है लेकिन इस पर अमल हो पाना संभव नहीं है। चुनाव बाद से सभी घोषणाएं अगले चुनाव तक टाल दी जाएंगी।