वेतन खर्च बचाने के लिये खट्टर सरकार कुछ भी कर सकती है वर्षों बाद मिली हजारों रिक्तियां एक झटके में रद्द

वेतन खर्च बचाने के लिये खट्टर सरकार कुछ भी कर सकती है वर्षों बाद मिली हजारों रिक्तियां एक  झटके में रद्द
April 03 16:42 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो  
सन 2018-19-20 में विज्ञापित किये गये टीजीटी व पीजीटी के 4574 पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के व उन्हें नियुक्ति पत्र देने के बाद अब  है। दोबारा से भर्ती करने के लिये फिर वही प्रक्रिया दोहराई जायेगी। यानी कि सैंकड़ों रुपये का भर्ती फार्म बेच कर सरकार सैंकड़ों करोड़ रुपया बेरोजगारों से बटोरेगी। यह ठीक ऐसा ही है जैसे मुंह में आया निवाला छीन लिया गया हो। नियुक्ति पत्र पाने के बाद सैकड़ों शिक्षकों ने सिविल अस्पतालों में धक्के खाकर व हजारों रूपए खर्च करके अपने मेडिकल भी करवा लिये थे।

परीक्षा देने के लिये सिरसा के उम्मीदवार यमुना नगर बुलाये जायेंगे और अम्बाला वाले हिसार बुलाये जायेंगे। जाहिर है कि इस प्रक्रिया में उम्मीदवारों का जहां अच्छा-खासा खर्चा होगा वहीं हरियाणा रोडवेज की अच्छी-खासी कमाई हो जायेगी।

उसके बाद फिर साक्षातकार की ड्रामेबाजी चलेगी। इस ड्रामेबाजी में सत्ता के दलाल उम्मीदवारों को ब्लैकमेल करके खूब लूटेंगे। इसके बाद वर्षों तक नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा कराई जायेगी। इस दौरान बड़ी सम्भावना यह भी बनी रहेगी कि या तो पेपर लीक होने का मामला उठवा दिया जाये अथवा किसी बहाने से भर्ती प्रक्रिया को हाई कोर्ट में ले जाकर उलझा दिया जाये। यानी कि न तो नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी और सरकार का वेतन पर होने वाला सम्भावित करोड़ों का खर्चा बच जायेगा।

इससे पहले भी हरियाणा सरकार ने 1546 फायर ऑपरेटर, 588 पटवारी, 1100 नहरी पटवारी, 697 ग्राम सचिव, 340 वेटनरी सर्जन, 526 कृषि विभाग के एडीओ पदों की भर्ती वापस ली जा चुकी है। इतना ही नहीं राज्य की सबसे प्रतिष्ठित एचसीएस की परीक्षा जो अभी सितम्बर 2021 में हुई थी उसे भी रद्द कर दिया गया है। इसे सरकार की लचर प्रशासनिक व्यवस्था कहा जाये अथवा तनख्वाह पर होने वाले सम्भावित खर्च को बचाने की चतुराई?

सरकार की इस तथाकथित चतुराई के चलते आज राज्य भर में स्कूली शिक्षकों के 38476 पद खाली हैं। ये रिक्तियां सरकार द्वारा मौजूदा स्वीकृत पदों के हिसाब से बताई जा रही हैं जबकि वास्तविक आवश्यकता इससे कहीं अधिक शिक्षकों की है। जाहिर है सरकार शिक्षा जैसे काम पर खर्चे को धन की बर्बादी मानती है। सरकार समझती है कि पढे-लिखे नौजवान सवाल-जवाब कुछ ज्यादा ही करने लगते हैं इसलिये उन्हें अनपढ़ ही रखा जाय तो अच्छा है।

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