भ्रष्टाचार तो रोक नहीं पाए खट्टर, आरटीआई पर रोक की तैयारी

भ्रष्टाचार तो रोक नहीं पाए खट्टर, आरटीआई पर रोक की तैयारी
February 13 08:43 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) पालतू और दरबारी मीडिया द्वारा लगातार अभिनंदन गीत गाए जाने के बावजूद सीएम खट्टर उन आरटीआई कार्यकर्ताओं की जुबान बंद करने की तैयारी कर रहे हैं जो सूचनाओं के जरिए सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं। खट्टर ने आदेश दिया है कि विभिन्न विभागों में लगातार आरटीआई लगाने वाले और सीएम विंडो पर शिकायत करने वालों की सूची तैयार की जाए। इनमें से सरकार विरोधी आरटीआई कार्यकर्ताओं को छांट कर उन्हें जनहित में सूचना देने से इनकार किया जा सकता है या ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।

न खाऊंगा और न खाने दूंगा का जुमला फेकने वाले पीएम मोदी और भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीटने वाले मुख्यमंत्री खट्टर अपनी सरकारों के भ्रष्टाचारों को किसी भी कीमत पर उजागर नहीं होने देना चाहते हैं। इसमें सबसे बड़ा रोड़ा आरटीआई कार्यकर्ता हैं जो आरटीआई के जरिए सरकार की कथित ईमानदारी का पर्दाफाश करते हैं। सरकारी विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारी इन आरटीआई कार्यकर्ताओं से परेशान होकर आए दिन सरकार से इन्हें ब्लैकलिस्ट करने और काबू करने की गुहार लगाते रहते हैं। भ्रष्टाचार में डूबे नगर निगम के अधिकारियों ने आरटीआई कार्यकर्ता विष्णु गोयल को महीनों सूचना नहीं दी, अपील करने पर विभाग के आला अधिकारियों से उन्हें ब्लैकलिस्ट किए जाने की सिफारिश कर दी थी।

अधिकतर विभागों से इस तरह की सिफारिशें आने और आला अधिकारियों द्वारा बैठकों में सीएम से इसकी मांग किए जाने पर आरटीआई कार्यकर्ताओं को काबू पाने की योजना बनाई गई। सरकारी अधिकारियों की मांग पर ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता था तो गुडग़ांव के संघ कार्यकर्ता कपिल दुआ से सरकार को चिट्ठी  लिखवाई गई। गुडग़ांव में वार्ड 20 से भाजपा पार्षद कपिल दुआ ने सरकार से मांग की कि सूचना मांगने के नाम पर अनेक आरटीआई कार्यकर्ता ब्लैकमेलिंग करते है इसलिए उन पर अंकुश लगाया जाए।

कपिल दुआ की चिट्ठी  से ये तो साबित हो गया कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार व्याप्त है जिसे उजागर करने के नाम पर कुछ कथित आरटीआई कार्यकर्ता अधिकारियों को ब्लैकमेल करते हैं। किसी भी आरटीआई कार्यकर्ता के पास भ्रष्टाचार को लेकर दो विकल्प हो सकते हैं, पहला तो यह कि वह भ्रष्टाचारी से लूट में अपना हिस्सा मांगे जिसे ब्लैकमेल कहा जा सकता है! दूसरा यह कि भ्रष्टाचारी को उसके सही अंजाम तक पहुंचाए जिसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष कहा जा सकता है। यहां पर सवाल ये पैदा होता है कि खट्टर ने अपने अधिकारियों के भ्रष्टाचार को खत्म करने की अपेक्षा उनसे सवाल पूछने पर भी रोक लगाने की योजना बनाई है इसे किसी भी आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता और आरटीआई एक्ट भी इसकी इजाजत नहीं देता।

यदि सरकारी अधिकारी भ्रष्ट न हों और विभाग पारदर्शिता से काम करें तो ब्लैकमेल किए जाने का सवाल ही नहीं पैदा होगा। सीएम खट्टर ने भी भ्रष्ट अधिकारियों को सही काम करने की नसीहत देने के बजाय कपिल दुआ की चिट्ठी  को आधार बनाते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं की सूची तैयार करने का आदेश जारी किया है। भरोसेमंद प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार सीएम के आदेश के बाद डीसी ने सभी विभागों से आरटीआई लगाने वालों की सूची मांगी है।

डीसी को यह असीमित अधिकार दिया गया है कि वह आरटीआई के आधार पर यह तय कर ले कि कार्यकर्ता की नीयत सूचना मांग कर ब्लैकमेल करने की है। सुधी पाठक जान लें कि सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 19(1) में व्यक्ति को दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार में ही जानने का अधिकार भी माना है, यानी आरटीआई के तहत सूचना मांगा जाना व्यक्ति का मूल अधिकार है जिसे पीएम खट्टर अपने भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए समाप्त करने पर तुले हैँ।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles