फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बल्लभगढ़ सोहना रेलवे ओवरब्रिज को चौड़ा करने का जिन्न चुनावी मौसम में एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। आठ वर्ष पहले बडख़ल विधानसभा क्षेत्र की रैली में सीएम खट्टर ने इस पुल के फोर लेन करने की घोषणा की थी, उसके बाद से केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर से लेकर कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा भी हर साल छह महीने बाद इसके बनने की घोषणा कर लोगों को झुनझुना पकड़ाते रहे हैं। लेकिन नया पुल बनना तो दूर पुराने पुल की जर्जर सडक़ को दुरुस्त करने की कवायद भी नहीं की गई। चुनावी मौसम शुरू होते ही नेताओं ने जनता को पुल चौड़ा करने का सब्जबाग दिखाने के लिए अधिकारियों को काम पर लगा दिया है। सच्चाई ये है कि पुल के लिए अभी तक जमीन का अधिग्रण तक नहीं हो सका है।
घोषणा करने में कुछ जाता तो है नहीं, हां मीडिया द्वारा प्रोपेगंडे का साधन अच्छा बन जाता है अब घोषणा अमलीजामा पहने या नहीं घोषणावीर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को इससे कोई सरोकार नहीं। 2016 में उन्होंने पुल को फोर लेन करने की घोषणा कर दी और इसके बाद वो और अधिकारी इसे घोषणा समझ कर भूल गए। 2019 में चुनाव होने थे तो पुल का मुद्दा एक बार फिर गर्म किया गया। फिर सीएम ने पुल निर्माण के लिए जरूरी रकम दिए जाने की घोषणा कर दी लेकिन बजट में इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई। सीएम की घोषणा पर औपचारिकता निभाते हुए नेताओं के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी ने भी अक्तूबर-नवंबर 2018 में जरनल अरेंजमेंट ड्रॉइंग बना कर स्वीकृति के लिए भेज दी। इस ड्राइंग पर पुल तो क्या बनना था क्योंकि अभी तक यह तय करने का प्रयास ही नही किया गया कि इसके लिए जमीन कितनी चाहिए होगी। अधिग्रहण तो बाद की बात है। खैर विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज कर भाजपा ने सरकार बनाई। जीत के जश्न में सोहना पुल का मुद्दा इस पुल पर जाम में फंसे वाहन की तरह ही फंस कर रह गया। इस बीच जाम के बोझ से कराहती जनता न जाने कितनी बार पुल बनाने की मांग करती रही और नेता हर बार आश्वासन देते रहे।
मई 2022 में एक बार फिर किशनपाल गूजर और मूलचंद शर्मा ने ओवरब्रिज चौड़ा किए जाने की खुशखबरी सुना कर अखबारों की सुर्खी बटोरी लेकिन पुल के लिए जरूरी जमीन की अधिग्रहण प्रक्रिया तक शुरू नहीं की गई। नेताओं की तर्ज पर अधिकारियों ने जमीन अधिग्रहण करने के लिए समिति का गठन किया। समिति ने 53 भू स्वामियों से मिलकर 38 हजार रुपये प्रति वर्ग गज का मुआवजा देना तय कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी, हालांकि भू स्वामी 44 हजार रुपये प्रति वर्ग गज की दर से मुआवजा मांग रहे थे। होना कुछ था नहीं रिपोर्ट सरकार के पास पड़ी रही और कोई धनराशि जारी नहीं की गई। यह साल भी निकल गया।
जनवरी 2023 में कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने बाकायदा प्रेस वार्ता कर बताया कि सरकार ने बल्लभगढ़ सोहना पुल को चौड़ा करने की मंजूरी दे दी है। साथ ही दावा किया कि छह महीने में यह फोर लेन पुल बन कर तैयार हो जाएगा। यानी सरकार बीते सात साल से जनता से झूठ बोल रही थी। मंत्री मूलचंद शर्मा का यह दावा भी झूठ ही साबित हुआ, न तो जमीन अधिग्रहण के लिए धन जारी किया गया था और न ही पुल निर्माण के लिए। फजीहत होती देख मूलचंद शर्मा खट्टर के सामने रोए तो मौजूदा पुल की मरम्मत कराए जाने का आश्वासन मिला। जो सरकार पुल फोर लेन करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के ढिंढोरे पीट रही थी उसने मौजूदा पुल की मरम्मत के लिए 65 लाख रुपये जारी करने की घोषणा की। वर्तमान में पुल की और उस पर लगने वाले जाम की हालत बदली नहीं है।
अब चुनावी मौसम में एक बार फिर इस पुल को फोर लेन किए जाने के सुनहरे ख्वाब दिखाए जाने लगे हैं। हरियाणा लोक निर्माण विभाग सडक़ एवं पुल उप महाप्रबंधक राहुल सिंह के अनुसार सरकार ने जमीन अधिग्रहण के लिए धनराशि जारी कर दी है, जल्द ही मुआवजा राशि चुकाकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा वह यह नहीं बता सकेे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि जमीन अधिग्रहण और पुल निर्माण का शोर कर खट्टर चुनाव की वैतरणी पार उतरना चाहते हैं, यदि चुनाव तक यह पुल नहीं बना, जिसकी संभावना नजर नहीं आती, तो चुनाव के बाद जनता को इस पुल के फोर लेन होने के लिए शायद अगले चुनाव का इंतजार करना पड़ेगा।