वह पूछते हैं कौन तोड़ रहा है देश? क्यों तोड़ रहा है मैं कहता हूं देश कोई बाहर वाले नहीं तोड़ रहे नीचे वाले नहीं तोड़ रहे सबसे ऊंची कुर्सियों पर बैठे लोग तोड़ रहे हैं ठीक उसी तरह जैसे अंग्रेजों ने किया था डिवाईड एण्ड रूल (फूट डालो और राज करो) जनता तक ये सारी खबर न पहुंचे इसलिए जनता को लड़ा के रखो इसलिए जनता को लड़ाने की कोशिश हो रही है वह पूछते हैं तुम क्या कर लोगे इस यात्रा ने क्या हासिल किया है मैं कहता हूं इस यात्रा ने आर.एस.एस. के मुंह से बुलवा दिया हां गरीबी तो है, बेरोजगारी तो है विषमता तो है आर.एस.एस. को मुसलमानों से संवाद करना सिखा दिया वो कहते हैं तुम कैसे मुकाबला करोगे देश तोडऩे वालों का उनके पास सब कुछ है मैं कहता हूं हां उनके पास घमंड है अभिमान है, मेरे पास संविधान है उनके पास सत्ता है, मेरे पास सच है। उनके पास मीडिया है, मनी है, मशीन है। मेरे पास मां है, भारत मां है। वो डंडे से तोड़ेंगे हम झंडे से जोड़ेंगे।