शहर के पार्कों मेंं लगेगा सीवर का पानी फरीदाबाद (म.मो.) नगर निगम के अति ‘बुद्धिमान’ अफसरों ने एक तीर से दो शिकार करने की बेहतरीन योजना प्रस्तुत की है। इसके अनुसार जो पेयजल पार्कों की सिंचाई में बर्बाद होता है उसे बचाकर सिंचाई के लिये सीवर का पानी इस्तेमाल किया जायेगा। प्रस्तुत योजना के अनुसार 5 से 10 एकड़ वाले पार्कों में छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी)लगाये जायेंगे, इनसे ग्रीन बेल्ट की भी सिंचाई हो पायेगी। इनकी क्षमता पचास केएलडी तक होगी। सीवेज के शोधित पानी को इस्तेमाल करके शुद्ध पेयजल को बचाना कोई नई बात नहीं है। लगभग तमाम विकसित देशों में इस तकनीक का प्रयोग वर्षों से होता आ रहा है। यहां समझने वाली बात यह है कि उनके शोधित जल व पेयजल देखने व सूंघने में बिल्कुल एक जैसे लगते हैं। जब तक बताया न जाये कि कौन सा पेयजल है और कौन सा शोधित तब तक दोनों में अंतर करना असम्भव सा रहता है।
लेकिन इसके विपरीत फरीदाबाद नगर निगम की कारगुजारियों को जानने वाले बखूबी समझते हैं कि इनके द्वारा लगाये जाने वाले एसटीपी वैसा ही काम करेंगे जैसा कि मिर्जापुर, बादशाहपुर व प्रतापगढ़ के एसटीपी कर रहे हैं। अब क्योंकि ये तीनों एसटीपी शहर से काफी दूर स्थित हैं इसलिये जनसाधारण को इस बात का ज्ञान नहीं कि इन प्लांटों के चलते आसपास के ग्रामीणों का जीना किस कदर दूभर हो चुका है। उसी आधार पर कहा जा सकता है कि वैसा ही खेला नगर निगम शहर के बीच में भी करने की तैयारी कर रही है। इस योजना को लेकर छोड़े जाने वाले करोड़ों रुपये के टेंडरों व उनके बिल पास करने से अधिकारियों को जरूर मोटा आर्थिक लाभ हो जायेगा।
संदर्भवश सुधी पाठक जान लें कि करीब दस साल पहले भी सेक्टर 12 स्थित खेल परिसर व टाउन पार्क की सिंचाई हेतु भी ऐसी ही एक योजना बनी थी। इसके लिये सेक्टर 14,15 आदि के सीवेज़ को एक एसटीपी द्वारा शोधित करके इस्तेमाल किया जाना था। लेकिन जागरूक जनता ने नगर निगम अधिकारियों की ‘कार्यकुशलता’ को भांपते हुए इस योजना को बीच में ही रुकवा दिया था। नागरिक बखूबी समझते हैं कि इनके डिस्पोजल की कभी मोटर फुकी रहेगी तो कभी केवल तो कभी पाइप लाईन फटी होगी। ऐसे में सीवेज़ की न तो निकासी हो पायेगी और न ही शोधन। इसका परिणाम सभी नागरिक भली-भांति समझते हैं।