फरीदाबाद (म.मो.) लूट कमाई का कोई भी मौका न छोडऩे वाली डीईओ (जि़ला शिक्षा अधिकारी) मुनीष चौधरी ने जि़ले भर के निजी स्कूलों के नाम एक फरमान जारी करते हुए तिरंगा झंडा खरीदने के लिये 25 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से रकम एकत्रित करके, उनके माध्यम से रेडक्रॉस में जमा कराने को कहा। इस फरमान में उन्होंने उपायुक्त जितेन्द्र यादव द्वारा मीटिंग में दी गई हिदायत का हवाला भी दिया है।
घर-घर तिरंगा अभियान कार्यक्रम के तहत उपायुक्त ने जि़ले भर के तमाम अधिकारियों की एक मीटिंग बुलाकर, इसे सफल बनाने के उपायों पर विचार विमर्श किया था। उन्होंने किसी भी अधिकारी को इसके नाम पर वसूली करने के आदेश नहीं दिये थे। परन्तु मुनीष चौधरी लूट कमाई के इस स्वर्ण अवसर को हाथ से यों ही कैसे जाने दे सकती थी? उसकी सल्तनत में सैंकड़ों निजी स्कूल चलते हैं। इनमें लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। इस हिसाब से 25 लाख तक का जुगाड़ अच्छी तरह बनने वाला था।
लेकिन आज के जमाने में जागरूक नागरिक इतनी आसानी से लुटने को तैयार नहीं होते। शहर भर में हंगामा मच गया। विपक्षी नेताओं ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना कर खट्टर सरकार को सीधे निशाने पर ले लिया। ज्यों ही मामला उपायुक्त के संज्ञान में आया तो उन्होंने मुनीष को बुलाकर बहुत बुरी तरह से फटकार लगाते हुए पूछा कि उन्होंने कब उससे इस तरह की वसूली करने को कहा था? जाहिर है कि ऐसे मौके पर मुनीष के पास मिमयाने के अलावा कुछ भी न था। प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि उपायुक्त ने डीईओ को रूल 7 के तहत चार्जशीट करने की बात कही है।
विदित है कि किसी भी जि़ले में उपायुक्त सरकार का मुख्य कार्यकारी प्रतिनिधि होता है। इस नाते उपायुक्त का कत्र्तव्य बन जाता है कि सरकार की छवि को बिगाडऩे वाले किसी भी अधिकारी के साथ सख्ती से निपटे। परन्तु इस मामले में उपायुक्त को सीएम के कलैक्शन एजेंट अजय गौड़ से निपटना होगा क्योंकि मुनीष उसी के समय दम पर उछल कूछ कर रही है।
चर्चा है कि अजय गौड़ मुनीष के पति धर्मसिंह के काले-पीले धंधों में बेनामी हिस्सेदार है। यह धर्म सिंह वही बिना डिग्री का इंजीनियर है जो नगर निगम में एससी के पद हाल ही मे रिटायर हुआ है। इसी रिश्ते के चलते नाकाबिल होते हुए भी मुनीष चौधरी यहां डीईओ के पद पर तैनात हो सकी।