फरीदाबाद (म.मो.) शहर में जल भराव को लेकर नगर निगम के नाकामी को देखते हुए, इससे निपटने का बीड़ा करीब तीन सप्ताह पूर्व उपायुक्त जितेन्द्र यादन ने उठाया था। इसके लिये उन्होंने 25 मैजिस्ट्रेट व तमाम थानों की पुलिस को काम सौंपा था। अब यह कोई जनता तो है नहीं जिसे धारा 144 या कर्फ्यू लगाकर पुलिस के डंडों द्वारा खदेड़ा जा सके। यह तो जल भराव है जिसे इसके ही तरीके से निकाला जा सकता है।
परिणाम यह रहा कि वीरवार को हुई कुछ देर की बारिश में ही उपायुक्त के तमाम दावे जलभराव में डूब गये। हर स्थान पर हमेशा की तरह ही जल भराव ने अपना जलवा दिखाया। हां, इस बार एक विशेष बात यह देखने को मिली कि तमाम प्रशासनिक अधिकारियों में भगदड़ तो मची हुई थी। बेशक वे कुछ भी कर सकने में असमर्थ थे क्योंकि जल निकासी एक तकनीकी काम है जिसके उपाय समय से पूर्व किये जाने चाहिये। आग लगने के बाद कुआं खोदने से आग नहीं बुझाई जा सकती।
‘मज़दूर मोर्चा’ ने 19-25 जून के अंक में उपायुक्त के लिये लिखा था कि जलभराव की बात तो छोडिय़े, यदि वे शहर के तीन अंडरपासों को ही चालू रख पायें तो बड़ी बात होगी। इस चेतावनी के बावजूद इस हल्की सी बारिश में एक बार तो तीनो अंडरपास डूब गये थे जो बाद में कई घंटों बाद चालू हो सके। ओल्ड फरीदाबाद वाला अंडरपास करीब 12 बजे दोपहर को पानी में डूब चुका था जो सारी रात डूबा रहा। अगले दिन यानी शुक्रवार को आठ बजे के बाद थोड़ा-थोड़ा चालू हो सका। इस अंडरपास के बंद हो जाने से नीलम व बडख़ल वाले रेलवे पुलों पर जाम की स्थिति बन गई थी।