उल्लू के पक्ष में फैसला

उल्लू के पक्ष में फैसला
April 28 12:14 2024

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान रेगिस्तान के इलाके में आ गये। हंसिनी ने हंस से कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं, यहां न तो जल है न जंगल, न ही ठंडी हवाएं है, यहां तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा। भटकते-भटकते शाम हो गई तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बिता लो सुबह हम दोनों हरिद्वार लौट चलेंगे।

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पेड़ पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा, अरे, यहां तो रात में भी सो नहीं सकते, ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर से हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यों है? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा ही रहेगा। पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई मेरी वजह से आप को रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ कर दो। हंस ने कहा कोई बात नहीं भइया आपका धन्यवाद।

ये कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा पीछे से उल्लू चिल्लाया। अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहां जा रहे हो। हंस चौंका-उसने कहा अरे आपकी पत्नी? अरे भाई ये हंसिनी है मेरी पत्नी है मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है। उल्लू ने कहा-खामोश रहो ये मेरी पत्नी है। दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गए। कई गांवों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गई। पंच लोग भी आ गए। बोले भाई, किस बात का विवाद है? लोगों ने बताया कि हंस कह रहा है कि हंसिनी मेरी पत्नी है और उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है।

लम्बी बैठक के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यही सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो दोनों ही थोड़ी देर में इस गांव से चले जाएंंगे। हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है इसलिये फैसला उल्लू के ही हक में सुनाना चाहिए। फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सुबूतों की जांच करने के बाद ये पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस को तत्काल गांव छोडऩे का हुक्म दिया जाता है। यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने-चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया है। उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली, रोते चीखते-चिल्लाते जब हंस आगे बढऩे लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई-मित्र हंस, जरा रुको, हंस ने रोते हुए कहा कि भाई अब तुम क्या करोगे? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब मेरी जान भी लोगे क्या? उल्लू ने कहा नहीं मित्र ये हंसिनी आपकी ही पत्नी है और हमेशा रहेगी।

ऐसा कहने के बाद उल्लू ने कहा कि रात में मैं जब चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिये है क्योंकि यहां उल्लू रहता है। मित्र, ये इलाका उजाड़ और वीरान इसलिये नहीं है कि यहां उल्लू रहता है। ये इलाका उजाड़ और वीरान इसलिए है क्योंकि यहां पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लूओं के हक में फैसला सुनाते हैं। शायद आजादी के 77 साल बाद भी हमारे देश की इस दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने उम्मीदवार की योग्यता को न देखते हुए, हमेशा ये हमारी जाति का है, तो यह हमारी पार्टी का है इसके आधार पर अपना फैसला उल्लुओं के पक्ष में ही सुनाया है। देश की बदहाली और बुरी हालत के लिये कहीं न कहीं हम भी जिम्मेवार हैं।

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Mazdoor Morcha
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