फरीदाबाद (म.मो.) शुक्रवार दिनांक दो सितम्बर को एक ट्रक पलट कर बगल में खड़े ऑटो रिक्शा पर जा गिरा। इत्तेफाक से उसमें सवार तीन में से दो बच्चियां पास की दुकान से टॉफी लेने चली गई थीं। ट्रक को झुकता देख कर तीसरी बच्ची व ड्राइवर भी फुर्ती से बाहर निकल गये, लेकिन निकलते-निकलते भी बच्ची का हाथ फंस कर टूट गया। कुल मिलाकर संतोषजनक यह रहा कि कोई जान नहीं गई, वरना हालात तो ऐसे थे कि चार लोग बेमौत मारे जा सकते थे।
होटल डिलाइट एनआईटी के सामने स्थित रामधर्म कांटे पर हुई इस दुर्घटना पर थाना कोतवाली ने ट्रक चालक के खिलाफ दुर्घटना का मुकदमा दर्ज करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। उपलब्ध जानकारी के अनुसार ट्रक के अंदर जितनी भारी मशीन रखी हुई थी, उसके लिये ट्रक फिट नहीं था, दूसरे शब्दों में कहें तो ट्रक ने अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा वजन लाद रखा था। इतना ही नहीं उस मशीन को दायें-बायें हिलने-डुलने से रोकने के लिये बांधा भी नहीं गया था। जाहिर है कि अवैध वाहन को सडक़ पर चलने देने के लिये ट्रेफिक पुलिस दोषी है। यही एक ट्रक नहीं, दिन भर सैंकड़ों अवैध वाहन सडक़ों पर बेखौफ दौड़ कर पुलिस की काली कमाई बढाते हैं।
दुर्घटना का दूसरा कारण नगर निगम द्वारा हाल ही में, सीमेंट कंक्रीट की बनाई गई अति ‘मजबूत’ सडक़ में बन चुके गड्ढे थे। ट्रक ज्यों ही वजन करा कर धर्मकांटे से आगे बढा तो सडक़ के गड्ढे में पहिया फंसने से भारी वजन वाली मशीन एक तरफ को खिसक गई जिससे वह ट्रक पलट गया।
जिस देश में प्रतिवर्ष डेढ़ लाख से अधिक व्यक्ति सडक़ दुर्घटना में जान गंवाते हैं। वहां का राष्ट्रीय मीडिया एक कॉर्पोरेट हस्ती सायरस मिस्त्री की बैक सीट पर बैल्ट न लगाने को लेकर पगलाया हुआ है।
सडक़ मंत्री नीतिन गडकरी को न ओवरलोडेड ट्रक दिखते हैं, न बेतहाशा रफ्तार से दौड़ती गाडिय़ा और न सडक़ों के घटिया डिजाइन ही। इनकी वजहों से लोग सडक़ों पर जान दे रहे हैं, जबकि गडकरी भी बैक सीट बैल्ट का ही रोना रो रहे हैं।
पुलिस का यह रटा-रटाया फार्मूला है कि किसी भी दुर्घटना की सूरत में बड़ी गाड़ी वाले को दोषी बना कर काम को निपटा दिया जाय। करीब चार वर्ष पूर्व बल्लबगढ़ की ओर से दिल्ली की ओर जाते हुए वधवा नामक एक स्कूटर सवार बाटा मोड़ के गड्ढों में फंस कर गिर गया था।
उसके पीछे बैठी पत्नी व बच्चा दूर जा गिरे, पीछे से आते हुए एक ट्रक ने मां-बेटे को ऐसा कुचला था कि बेटा मौके पर ही मारा गया तथा पत्नी का आज तक भी इलाज चल रहा है। उस केस में पुलिस ने ट्रक चालक का चालान करके केस को निपटा दिया था। परन्तु वधवा जी ने गड्ढों के लिये दोषी सडक़ निर्माताओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बावजूद पुलिस के रवैये में कोई सुधार नहीं।