ट्रैफिक पुलिस हुई नाकाम, जाम से ‘राहत’ दिलायेगी एफएमडीए, सैकड़ों करोड़ के टेंडर छोडऩे की तैयारी

ट्रैफिक पुलिस हुई नाकाम, जाम से ‘राहत’ दिलायेगी एफएमडीए, सैकड़ों करोड़ के टेंडर छोडऩे की तैयारी
March 01 02:21 2023

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) पूरे शहर की तमाम चौड़ी-चौड़ी सडक़ें अवैध कब्जों एवं वाहन पार्किंग के चलते इतनी संकरी होकर रह गई है कि हर समय जाम की स्थिति बनी रहती है। एक डीसीपी व दो एसीपी तथा सैंकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मियों व होमगार्डों की तैनाती के बावजूद शहर को जाम से मुक्ति दिलाने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम रही है।

जाम से मुक्ति के लिये अब एफएमडीए (फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण) सैंकड़ों करोड़ का प्रोजेक्ट लेकर सामने आई है। पहले चरण में नीलम चौक से बाटा चौक तथा बाटा चौक से केसी रोड को जाम मुक्त करने की योजना है। इस योजना के पहले भाग में नीलम व बीके चौक के गोल चक्करों को छोटा किया जायेगा तथा दोनों के बीच में पेट्रोल पम्प के लगभग सामने बनाये गये यू-टर्न-कट को भी समाप्त किया जायेगा। इस कट को इसलिये बनाया गया था कि वाहनों को पेट्रोल पम्प की ओर जाने के लिये बीके चौक का चक्कर न लगाना पड़े। इस कट के बनने से बीके चौक को जाम से काफी राहत मिली हुई है जिसे अब बंद करने की तैयारी है।

इसी सडक़ पर नेहरू ग्राऊंड की ओर जो नाला है उसे भी स्थानांतरित करने की योजना बनाई जा रही है। विदित है कि यह नाला हार्डवेयर चौक से बीके चौक तक आने वाली सडक़ के साथ-साथ पचासों साल से चला आ रहा है। बीके चौक से नीलम चौक होते हुए रेलवे लाइन तक जा रहा है और वहां से एनआईटी रेलवे स्टेशन होते हुए आगे निकल रहा है। आखिर अब एफएमडीए इस नाले को उठा कर कहां ले जायेगा? ले जाना कहीं नहीं है इसके नाम पर जनता के धन को बर्बाद जरूर किया जायेगा।

इसी चरण के तीसरे भाग में सैंकड़ों करोड़ की लागत से बने नीलम पुल से एलिवेटेड सडक़ द्वारा बीके चौक को जोड़ा जायेगा। इसके साथ-साथ बीके से केसी की ओर जाने वाली सडक़ को चौड़ा करके उसके नीचे अंडरपास बनाने की भी योजना है। बीके से हार्डवेयर चौक की ओर जाने वाली सडक़ पर भी फुट ओवरब्रिज, जिस पर चढ़ कर लोग सडक़ पार करेंगे, बनाने की योजना है। अब कोई पूछे इन मूर्खों से भला कौन पुल की सीढिय़ां चढ़ कर सडक़ पार करेगा? जहां तक बात है अंडरपास की तो शहर में पहले से ही बने अंडरपास की हालत शहरवासी बखूबी देख रहे हैं।

गौरतलब है कि शहर का निर्माण करने वालों ने 75 साल पहले सडक़ों के लिये 200-300 फीट तक जगह छोड़ी थी, परन्तु शासक वर्ग की जन विरोधी नीतियों और लालच के चलते जानबूझकर सडक़ों को संकरा बना दिया गया है। इस पूरे क्षेत्र की तमाम सडक़ें आज भी दोगुणी चौड़ा होने की क्षमता रखती है। जरूरत है तो केवल राजनेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छाशक्ति की। बीके से नीलम तक की सडक़ पर बने फुटपाथ पर रेहडिय़ों के कब्जे करा दिये गये हैं। पैदल व साइकिल पर चलने वालों को भी मजबूरन मुख्य सडक़ पर चलना पड़ता है। इसके अलावा इन दोनों चौकों पर हर समय, शाम को अंधेरा होने के बाद खासतौर पर ऑटो-रिक्शा वालों का कब्ज़ा इस कदर हो जाता है कि वाहनों का वहां से निकल पाना दूभर हो जाता है। एक-दो नम्बर चौक की स्थिति तो सबसे बद्तर हो जाती है।

बीके केसी रोड पर केएलमेहता कॉलेज के सामने लालबत्ती तो लगा दी गई लेकिन वहां पर सडक़ की जो व्यवस्था होनी चाहिये थी उसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लालबत्ती लगाते समय बाईं ओर मुडऩे वाले ट्रैफिक के लिये सदैव स्लिप रोड बनाई जाती है जो कि यहां पर नहीं है। इसके चलते केसी की ओर से आने वाले जिन वाहनों को पांच नम्बर के भीतर जाना होता है वे भी लालबत्ती पर फंसे रहते हैं। इसी तरह पांच नम्बर के भीतर से आने वाले जिन वाहनों को बीके की ओर जाना होता है वे भी फंसे रहते हैं। इतना ही नहीं इस टी प्वाइन्ट पर पांच नम्बर में जाने वाली सडक़ बहुत ही खतरनाक अवस्था में है।

शहर भर की बदहाल सडक़ों की मामूली मरम्मत करने फुटपाथ एवं साइकिल ट्रैक बनाने तथा बने हुए फुटपाथों को कब्जों से मुक्त कराने की अपेक्षा शासक वर्ग का पूरा ध्यान सैंकड़ों करोड़ के टेंडर जारी करके लूट कमाई की ओर है। लगता है कि मौजूदा सडक़ों की हालत संवारने की बजाय सरकार एलिवेटेड सडक़ों के प्रोजेक्ट बनाने पर विशेष ध्यान दे रही है। इसी श्रंखला में बल्लबगढ़ के अम्बेदकर चौक से मोहना को जाने वाली सडक़ पर से अवैध कब्जे एवं पार्किंग हटाने की बजाय एलिवेटेड रोड बनाने की चर्चा चलाई जा रही है।

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Mazdoor Morcha
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