अजातशत्रु फरीदाबाद में सेक्टर 12 स्थित टाउन पार्क में विश्व हिंदू परिषद ने हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ शुरू किया है। यह पाठ पक्षी घर के पास पहले से ही अवैध रूप से बने एक हनुमान मंदिर के सामने किया जा रहा है।
मंगलवार 8 अगस्त 2023 को जब यह संवाददाता शाम को टाउन पार्क में सैर के लिए गया तो देखा कि पक्षी घर के पास स्थित हनुमान मंदिर के सामने गलीचे और कुर्सियां बिछा कर 15-20 लोग पूजा पाठ कर रहे हैं। यहां लगाए गए बैनर से पता चला कि विश्व हिंदू परिषद यहां हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करेगी।
इस आयोजन में शामिल लोगों से पता चला कि सेक्टर 28 के मंदिर वाले लोग ही यहां भी ये आयोजन कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि सेक्टर 28 मंदिर वालों को इतनी दूर आकर ये आयोजन करने की क्या जरूरत आन पड़ी? आयोजकों ने पूछने पर बताया कि इस प्रोग्राम के लिए न तो उन्होंने किसी से इजाज़त ली है और न ही उन्हें इसके लिए इजाज़त लेने की ज़रूरत है।
सवाल ये है कि क्या हूडा अधिकारी और जि़ला प्रशासन ऐसे आयोजन अन्य धर्मों को भी यहां नियमित करने देंगे? क्या यहां हर जुम्मे को नमाज़ पढऩे की भी इजाज़त दी जाएगी? गुरुग्रंथ साहिब का पाठ होने दिया जाएगा? बाइबल के गीत गाने दिए जाएंगे? क्या प्रशासन ने मेवात में हुई घटनाओं से भी कोई सबक नहीं सीखा है?
हालांकि दो मंदिर टाउन पार्क में पहले ही अवैध रूप से बने हुए हैं जो पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुचित हैं और प्रशासनिक दृष्टि से ग़ैरक़ानूनी हैं लेकिन उस पर इस तरह के आयोजनों की इजाज़त देकर क्या प्रशासन ख़ुद सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की तरफ नहीं बढ़ रहा है?
दूसरी तरफ सेक्टर 15 ए स्थित ऑफिसर्स कॉलोनी में भी सरकारी ज़मीन घेर कर अवैध रूप से एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर निर्माण वाली जगह कॉलोनी के रखरखाव के लिए पीडब्ल्यूडी का मेंटिनेंस कार्यालय बनाने के लिए रखी गई थी। अगर वहां मंदिर बन गया तो फिर कायार्लय कहां बनेगा? और जब सरकारी ज़मीन घेर कर मंदिर बनाया जा सकता है तो गुरुद्वारा, चर्च और मस्जिद क्यों नहीं? विदित हो कि इसी कॉलोनी में सिटी मजिस्ट्रेट, जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ), पुलिस के डीसीपी, एसडीएम व जजों सहित अन्य अधिकारियों के भी निवास स्थान हैं लेकिन किसी भी अधिकारी को अपनी नाक के नीचे हो रहा यह अवैध निर्माण दिखाई नहीं दे रहा या शायद वो देखना नहीं चाहते। लेकिन ऐसे ही अधिकारीगण मुस्लिमों के मामले में रातों रात लोगों के उनकी ही ज़मीन पर बने घरों को तोडऩे में जऱा भी देर व संकोच नहीं करते। मेवात इसका ज्वलंत उदाहरण है।
नफऱत की राजनीति करने वाली पार्टियों के संगठनों द्वारा ऐसे सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले कार्यक्रम करना तो समझ में आता है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की इस पर चुप्पी या गुपचुप सहयोग से क्या समझा जाए?