टूटी सडक़ के गड्ढे में फंस कर मरा बाइकर, उल्टे प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा, गिरफ्तारी

टूटी सडक़ के गड्ढे में फंस कर मरा बाइकर, उल्टे प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा, गिरफ्तारी
October 18 01:14 2022

फरीदाबाद (म.मो.) नगर निगम, एफएमडीए, स्मार्ट सिटी कंपनी, ‘हूडा’ जैसी चार संस्थाओं को नागरिकों की ‘सेवा’ में खट्टर सरकार ने लगा रखा है। इनके अलावा कुछ काम पीडब्लूडी तथा एचएसआईआईडीसी के जिम्मे भी हैं। इस सबके बावजूद शहर की जो दुर्दशा आज देखने को मिल रही है, पहले कभी नहीं देखी थी। सडक़ों पर अंधेरा व गड्ढों में पानी यानी राहगीरों की मौत का पूरा इंतजाम, कोई बच सके तो बच ले, सरकार की कोई जिम्मेवारी नहीं है। दिनांक आठ अक्टूबर रात करीब आठ-नौ बजे उपेन्द्र तिवारी अपने काम से लौट कर मेवला महाराजपुर स्थित अपने किराये के मकान की ओर जा रहा था। यदि मेवला महाराजपुर के अंडरपास में पानी न भरा होता तो वह मरने के लिये घटनास्थल पर न आया होता।

सेक्टर 21 सी स्थित पत्थर मार्केट के निकट अभी हाल ही में बनी आधी-अधूरी आरएमसी (सिमेंट) रोड इस कदर फट चुकी है कि अच्छे-खासे गड्ढे बन गये। आस-पास के लोगों का कहना है कि हर बारिश में यहां डेढ से दो फुट पानी खड़ा हो जाता है। जाहिर है कि रात के अंधेरे में वहां से गुजरने वाला दुपहिया चालक मौत के इन गड्ढों को नहीं देख पाता। इन गड्ढों में फंस कर तिवारी गिरा और बूरी तरह से घायल हो गया। उनके घर न पहुंचने के चलते, परेशान घरवालों ने उन्हें फोन लगाया जिसका कोई जवाब न मिला। प्रात: जब परिजन ढूंढते हुए घटनास्थल तक पहुंचे तो वहां पुलिस मौजूद थी। दरअसल तिवारी की बाइक डिग्गी में उनके फोन की घंटी बज रही थी जिसे पुलिस वालों ने निकाल कर घर वालों को सूचित किया था।

सरकारी महकमों की लापरवाही एवं चोर बाजारी के चलते पानी व अंधेरे में डूबी हुई टूटी सडक़ के कारण हुई मौत का विरोध होना स्वाभाविक था। आम आदमी पार्टी के संतोष यादव व बाबा राम केवल के साथ मृतक के परिजन व अन्य लोग शव लेकर एमसीएफ दफ्तर पहुंचे। वहां पुलिस के भारी दल-बल की मौजूदगी में निगम अधिकारी गौरव अंतिल ने उन्हें अपने तरीके से समझाते हुए फर्जी सा आश्वासन दिया कि वे मृतक के परिजनों के लिये यथासम्भव प्रयास करेंगे। यानी कोई ठोस आश्वासन नहीं। उधर प्रदर्शनकारियों की पहली मांग थी कि निगम अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाय तथा मृतक परिवार को उचित मुआवजा दिया जाय।

प्रदर्शनकारी जब नहीं माने तो अधिकारियों ने उन पर बल प्रयोग करते हुए शव पर राजनीति करने वाला बताया तथा हल्का लाठी चार्ज करके संतोष यादव तथा बाबा राम केवल को गिरफ्तार कर पुलिस चौकी एनएच तीन में बैठा दिया। देर शाम उन्हें जमानत पर छोड़ भी दिया। सवाल यह पैदा होता है कि इस शहर में आये दिन कोई न कोई सीवर में डूब कर घायल हो रहा है या मर रहा है, कोई आवारा पशुओं की टक्कर से मर रहा है तो कोई सडक़ पर चलते हुए बिजली के करंट से मर रहा है, उसके बावजूद किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इसके विरोध में जनता प्रदर्शन करती है तो उसे ‘शव पर राजनीति बताया जाता है।

बीते शनिवार को ही गुडग़ांव स्थित एक बिल्डर के कारिंदों द्वारा बनाये गये गड्ढे में 6 बच्चों के डूब मरने के जुर्म में कम्पनी के चेयरमैन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो गया। इसी तरह कुछ वर्ष पूर्व गुडग़ांव के ही एक स्कूल में बच्चे की हत्या के अपराध में बंबई में बैठे उसके चेयरमैन को दोषी बना दिया गया था। ऐसे में यही कानून मुख्यमंत्री खट्टर पर क्यों नहीं लागू होना चाहिये?

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Mazdoor Morcha
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