ठेका मजदूरों को यूनियन में शामिल करने से बौखलाये मालिक उनके वफादार श्रम विभाग ने भेजा रजिस्ट्रेशन रद्द करने का नोटिस

ठेका मजदूरों को यूनियन में शामिल करने से बौखलाये मालिक उनके वफादार श्रम विभाग ने भेजा रजिस्ट्रेशन रद्द करने का नोटिस
February 13 02:05 2023

महोदय ,
बेलसोनिका ऑटो कॉम्पोनेंट इंडिया एम्पलाई यूनियन आप सभी मजदूरों से मुखातिब है। हमारी यूनियन ने मजदूरों की वर्गीय एकता को मजबूत करने के लिए फैक्ट्री में हमारे साथ कार्यरत ठेका श्रमिकों को यूनियन की सदस्यता दी। सदस्यता देने से पहले हमने अपने यूनियन के संविधान में संशोधन कराया था जिसे ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा स्वीकार कर लिया गया था।

ठेका मजदूर को सदस्यता देने पर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा यूनियन को एक गैर कानूनी नोटिस दिया गया कि आपने ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता दी है तो क्यों ना आपकी यूनियन के पंजीकरण को रद्द किया जाए? ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार द्वारा किया गया यह नोटिस ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 की अवमानना है। ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 अंग्रेजों के समय मजदूर संघर्षों की बदौलत मजदूरों को हासिल हुआ था जिसके तहत मजदूर अपनी यूनियन बनाकर सामूहिक मोलभाव कर अपनी दयनीय जीवन प्रस्तुतियों व कार्य पर तिथियों के सुधार के लिए संघर्ष करते थे यह वह समय था जब दुनिया में मजदूरों ने अपने राज काम कर लिए थे मजदूर आज एक कोरा सपना नहीं बल्कि हकीकत बन चुका था ऐसे में मजदूरों की लड़ाई को कानूनी दायरे में समेटने और सुधार तक सीमित करने के उद्देश्य से मजदूरों को संगठित होने के कानूनी अधिकार दिए गए थे

हम सभी मजदूर साथी अपने व्यवहार से यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि अकेले-अकेले मजदूर कुछ भी नहीं होता। संगठित यूनियन में एकताबद्ध हुए बिना मजदूरों की हालत गुलामों जैसी होती है । अपने ऊपर हो रहे शोषण उत्पीडऩ के विरुद्ध मजदूर खुद को असहाय पाता है । अपनी जलालत और असहाय अवस्था के लिए जब वह खुद को यूनियन में संगठित कर लेता है तब एक जुझारू ताकत के तौर पर सामने आता है और अपने सामूहिक शोषण उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज बुलंद करता है। पूंजीपति कारखानों के मालिक को सबसे बड़ा डर मजदूरों की संगठित ताकत से लगता है। मजदूरों की यूनियन में एकजुटता केवल एक कागज का टुकड़ा मात्र नहीं होता बल्कि वह जमीनी तौर पर सामूहिक हितों की एकजुटता होती है।

मजदूर अपनी वर्ग एकजुटता कायम ना करें इसके लिए पूंजीपति वर्ग क्षेत्रवाद जातिवाद सांप्रदायिक उन्माद आदि विभाजन पैदा कर उनके खून को चूसता रहता है। पिछले 3 दशकों से शासक वर्ग ने उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण की पूंजी पस्त नीतियों के तहत मजदूर वर्ग पर चौतरफा हमला बोल दिया है। यह उदारीकरण की नीतियों का ही परिणाम है कि फैक्ट्रियों के अंदर बड़े पैमाने पर मुख्य उत्पादन में गैरकानूनी तरीके से ठेका मजदूरों से उत्पादन कार्य कराया जा रहा है। जिससे की फैक्ट्री के अंदर स्थाई मजदूरों की संख्या बहुत कम हो गई है जिसका परिणाम यह है कि फैक्ट्री में यूनियन कमजोर हो रही हैं।

44 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर लाए जा रहे लेबर कोर्ट ने इस प्रक्रिया को और भी बढ़ा दिया है। प्रशिक्षण के नाम पर भर्ती किए जा रहे मजदूरों को तो मजदूरों की परिभाषा से ही गायब कर दिया गया है। नीम ट्रेनी फिक्स टर्म एंप्लॉयमेंट इत्यादि के तहत मजदूर भर्ती किए जा रहे हैं। जिससे स्थाई मजदूरों की संख्या फैक्ट्रियों में ना के बराबर रह जाएगी। जिससे कि यूनियनों की स्थिति और भी गर्त में पहुंचा दी जाएगी। नए लेबर कोर्ट मजदूरों की बची खुची स्थिति को गुलामी में धकेल देंगे।

प्रबंधन कानूनी प्रावधान होने के बावजूद भी स्थाई मजदूरों तथा ठेका मजदूरों को एक साथ एक यूनियन में संगठित नहीं होने देना चाहते। स्थाई मजदूरों की यूनियन अपनी तादाद की वजह से इतनी मजबूत नहीं होती कि वह सामूहिक मोलभाव मजबूती के साथ कर पाए। स्थाई और ठेका मजदूरों की एकता सामूहिक समझौतों के लिए मजदूरों के संघर्ष को जुझारू बनाने के लिए रणनीतिक जरूरत है और प्रबंधन ऐसा नहीं होने देना चाहता। प्रबंधन स्थाई और ठेका मजदूरों की एकता ना बने इसके लिए मजदूरों के बीच फुट डलवाने का माहौल बनाता है

हमारी फैक्ट्री में भी 2014 में जब यूनियन बनाई गई थी तब 89 स्थाई मजदूर थे। जबकि कुल मजदूरों की तादाद लगभग हजार थी जब तक हमने हजार मजदूरों की वर्ग एकता नहीं बनाई तब तक श्रम विभाग के दफ्तरों और कोर्ट कचहरी पर मिन्नते ही करते रहे। उस समय हमारी वर्गीय एकता के सामने प्रबंधन को झुकना पड़ा और स्थाई मजदूरों की तादाद 700 करनी पड़ी। प्रबंधन सदैव हमारी एकता को तोडऩे के लिए नित नये षडयंत्र रचता रहता है।

हमारी तादाद को कम करने के लिए प्रबंधन ने सालों साल काम कर रहे उन मजदूरों को फर्जी कहना शुरू कर दिया जिनके बल बूते अकूत धन व अनेकों अवार्ड कमाये। मजदूरों को फर्जी बताकर उनकी छंटनी करना? चाहता है।

साथियों आज श्रम विभाग नंगा होकर प्रबंधकों के इशारे पर नाच कर रहा है । हमारी यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने का गैर कानूनी नोटिस भेज रहा है। ऐसे में हम सभी मजदूरों को वर्ग के तौर पर एकजुट होकर इसका मुंहतोड़ जवाब देना होगा। सभी मजदूर यूनियनों, संगठनों, छात्रों एवं नौजवानों, महिलाओं ,बुद्धिजीवियों तथा इंसाफ पसंद जनता का आह्वान करती है कि मजदूरों के संगठित होने के अधिकार पर हमले के खिलाफ मजदूर सम्मेलन में शामिल हो।
मांग :
घोर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स रद्द करो, टे्रड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा द्वारा बेलसोनिका यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने की धमकी के साथ भेजे गए कारण बताओ नोटिस को वापिस लो, मजदूरों को ठेका व स्थाई में बांटकर उनकी वर्गीय एकता को तोड्ना रद्द करो और मजदूरों की खुली-छिपी छंटनी करना बंद करो।
कार्यक्रम : स्थल मजदूर सम्मेलन
स्थान : लघु सचिवालय गुरूग्राम
दिनांक : 12 फरवरी 2023
समय सुबह 10 बजे से
दोपहर 2.00 बजे तक

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles