थाना सूरजकुंड का हाल : थानेदार मालामाल, पीडि़त महिला बेहाल, आरोपी छुट्टेहाल

थाना सूरजकुंड का हाल : थानेदार मालामाल, पीडि़त महिला बेहाल, आरोपी छुट्टेहाल
March 04 06:10 2024

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का ढिंढोरा पीटने वाले सीएम खट्टर की पुलिस ने यौन उत्पीडऩ की शिकार महिला की गुहार की अनसुनी कर दी। नतीजा हुआ कि दुष्कर्म के आरोपी देवर ने पीडि़ता की बेटियों को जमकर पीटा और सबको जान से मारने की धमकी दी। हालांकि पुलिस मामले को पारिवारिक ज़मीन की दावेदारी से जुड़ा हुआ बता रही है।

सूरजकुंड थाना क्षेत्र में रहने वाली पीडि़त महिला का पति मानसिक रूप से कमजोर है। वह अपनी दो बेटियों और पति के साथ रहती है। आरोप है कि देवर संजीव व विष्णु शादी के पहले दिन से ही पीडि़ता पर गंदी नजर रखते थे। संजीव ने कई बार गलत तरह से उसे छुआ, विरोध कर पति से शिकायत करने की चेतावनी दी तो संजीव ने उल्टे उसे धमकाया कि तेरे ऊपर झूठा इल्ज़ाम लगाकर जिंदगी बर्बाद कर दूंगा। पीडि़ता परिवार और पति की इज्जत बचाने के लिए सब कुछ सहती रही।

कुछ दिन पहले संजीव ने पीडि़ता के पति को शराब पिलाई और नशा होने पर छोडऩे के बहाने घर में घुस आया। नशे में धुत्त पति को दूसरे कमरे में लिटा कर संजीव महिला के कमरे में घुस आया और छेडख़ानी करने लगा। पीडि़ता ने विरोध किया तो चाकू निकाल पर बच्चों को जान से मारने की धमकी देकर उससे जबरन दुष्कर्म किया। आरोप है संजीव ने दुष्कर्म का वीडियो बना लेने और बात नहीं मानने पर वायरल करने की धमकी देकर कई बार उससे दुष्कर्म किया। संजीव की नीयत उसकी बेटियों पर भी खराब हो गई, पीडि़ता ने विरोध किया तो उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। पीडि़ता को उसके पिता के घर भी नहीं जाने दिया और मारपीट कर वापस पति के घर में ही रहने को मजबूर किया। यौन उत्पीडऩ और प्रताडऩा से परेशान युवती ने 22 फरवरी को सूरजकुंड थाने में शिकायत दी,

आरोप है कि पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया लेकिन जांच पड़ताल शुरू नहीं की। केस दर्ज होने से नाराज संजीव ने 26 फरवरी को पीडि़ता की बेटियों को जमकर पीटा और जान से मारने की धमकी दी।जानकारी देने पर मौके पर पुलिस बल पहुंचा और आरोपी संजीव को पकड़ कर ले गया। कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया।
इधर, एसएचओ सूरजकुंड इंस्पेक्टर शमशेर ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है, अभी तक जांच में सामने आया है कि पारिवारिक जमीन के हिस्सा बांट को लेकर विवाद है। पीडि़ता की बहन देवर संजीव की पत्नी है, उसने महिला के आरोपों का खंडन किया है, जांच में जो भी तथ्य निकल कर आएंगे उनके अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी, दोषी पाए जाने पर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।

मज़दूर मोर्चा की तहक़ीक़ात,
पीडि़त महिला के बयान तथा एसएचओ द्वारा बताई गई कहानी के बीच भारी अंतर देखते हुए इस संवादादाता ने मामले की पूरी खोजबीन की, दरअसल 22 फरवरी को जब पीडि़ता की शिकायत पर एफआईआर नंबर 85 दर्ज की गई थी तो थाने के एसएचओ मनोज कुमार थे,

उन्होंने मामले का संज्ञान लेते हुए 23 तारीख को सुबह युवती का मेडिकल कराने के बाद मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 का बयान दर्ज कराया। मनोज कुमार ये कार्रवाई कर ही रहे थे कि दोपहर तक उनका तबादला हो गया और उनके स्थान पर शमशेर सिंह ने एसएचओ का चार्ज संंभाल लिया। जानकार बताते हैं कि इंस्पेक्टर शमशेर सिंह आईएनएलडी की 1998-2004 सरकार के दौरान अभय चौटाला का गन मैन रहा था। ज़ाहिर है सुरक्षा गार्ड के पास तो लूट कमाई के कोई साधन होते नहीं लेकिन सत्ताधारी से घनिष्ठता गहरी हो जाती है। इसी घनिष्ठता का लाभ उठाते हुए शमशेर ने लूट कमाई के लिए बेहतरीन समझे जाने वाले सूरजकुंड थाने में अपनी तैनाती करवा ली। आते ही गर्मागर्म मामले के रूप में एफआईआर नंबर 85 शमशेर के हाथ लग गई।

भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार थाना सूरजकुंड के साथ लगते गांव लक्कड़पुर के जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) कार्यकर्ता अजीत भड़ाना आर्य के माध्यम से आरोपी संजीव व उसके भाई बिट्टू ने नव नियुक्त एसएचओ से 2.25 लाख में सौदेबाज़ी कर ली। संजीव और बिट्टू अवैध शराब का धंधा करते हैं, लेन देन के संबंध होने के कारण पुलिस से उनके संबंध पहले ही बेहतर हैं। शमशेर सिंह ने भी स्थायी सुविधा शुल्क चुकाने वाले संजीव को गिरफ़्तार करने की जहमत नहीं उठाई। गांव अनंगपुर व लक्कड़पुर में चर्चा आम है कि इस सौदे में 2.25 लाख रुपयों का लेनदेन हुआ है। सर्वविदित है कि इस तरह की सौदेबाज़ी में लेने वाला तो क्या देने वाला भी कभी सामने आकर सच्चाई बताता नहीं है। लेकिन हालात ये बता रहे हैं कि शमशेर द्वारा आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करके झूठी कहानी परोसने के पीछे यही लेनदेन हो सकता है।

ज़ाहिर है इसी लेनदेन से बेखौफ़ हुए संजीव तथा बिट्टू ने दिनांक 25 फरवरी को पीडि़ता की 13 व 15 वर्षीय दो बेटियों को उन्हीं के घर के कमरे में बंद करके न केवल बहुत बुरी तरह से मारा पीटा बल्कि उनके कपड़े तक फाड़ डाले, और तो और इस दौरान उन्हें खाना पीना भी नसीब नहीं हुआ। जैसे तैसे इसकी सूचना जब 26 फरवरी को थाने पहुंची तो दो जिप्सियों में पुलिस आई और लड़कियों को छुड़वाया तथा आरोपी को साथ ले गई। साथ तो ले गई लेकिन गिरफ्तार करने के बजाय उसे न केवल भगा दिया गया बल्कि दूसरी एफआईआर भी नहीं दर्ज की गई जबकि कायदे से प्रताडि़त हुई दोनों बेटियों की शिकायत पर एक और एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी। यह सवा दो लाख का कमाल नहीं तो क्या है?

एसएचओ शमशेर द्वारा बताई गई ज़मीनी विवाद की कहानी की तह मे पाया गया कि पीडि़ता का पति वेदप्रकाश उससे छोटा संजीव व उससे छोटा बिट्टू हैं। गांव में इनकी दादालाही ज़मीन के तीन हिस्से पीडि़ता के ससुर ने कई वर्ष पहले कर दिए थे। रस्मो रिवाज के मुताबिक पहली छांट सबसे छोटे बेटे होने के नाते बिट्टू ने जमीन का बेहतरीन हिस्सा छांट लिया। उसके बाद संजीव ने अपना हिस्सा काबू कर लिया। बचे खुचे मात्र 1500 गज का टुकड़ा वेद प्रकाश यानी पीडि़ता के हिस्से में आया। इन दोनों छोटे भाइयों ने अपना अपना हिस्सा बहुत पहले ही बेच खाया था। अब इनकी निगाह वेद प्रकाश की जमीन पर है।

वेद प्रकाश हरियाणा टूरिज़्म के सूरजकुंड स्थित सनबर्ड होटल में सुरक्षाकर्मी की नौकरी करता है। पीडि़त महिला के अनुसार इन दोनों बदमाश भाइयों ने कुछ अर्सा पहले वेद प्रकाश को कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर ऐसा कुछ पिला दिया जिससे उसकी दिमागी व शारीरिक हालत बिगड़ती जा रही है। पीडि़ता ने यह भी बताया कि संजीव की पत्नी अंतेश उसकी बहन-वहन कुछ नहीं है, पूछने पर यह ज़रूर बताया कि वह उसकी मौसी की बेटी है। मसला क्योंकि ज़मीन का है उसे कब्जाने के लालच में अपने पति संजीव व देवर बिट्टू के साथ मिली हुई है। इन सब का लक्ष्य है कि वेद प्रकाश व उसके परिवार को किसी भी तरह यहां से बेदखल करके उस 1500 गज जमीन को हड़प लिया जाए। हालत यह है कि पीडि़ता न तो अपनी इस ज़मीन पर जाकर कोई छोटी मोटी खेती बाड़ी कर सकती है और न ही चहारदिवारी तक। इसी दहशत के चलते पीडि़ता अपने बच्चों को लेकर गांव का अपना घर छोडक़र कहीं अज्ञात स्थान पर रहने को मजबूर है।

लानत है ऐसी सरकार और उसकी पुलिस पर जो एक महिला के जान माल की सुरक्षा भी न कर सके। बेशक, शमशेर को यहां की तैनाती का आदेश जारी करते वक़्त महकमे ने क्या एक बार भी नहीं सोचा कि एक इंस्पेक्टर द्वारा किसी थाने विशेष की मांग क्यों की जा रही है? यहां तैनात थाने के हलका अफसर एसीपी, डीसीपी तथा उनके ऊपर बैठे सीपी राकेश आर्य साहब किस मजऱ् की दवा हैं?

ये सब अफसरान अपने मातहत एसएचओ की कैसी सुपरविजन कर रहे हैं? क्या इन लोगों को क़तई फ़ुरसत नहीं है कि थाने में होने वाले इस तरह के काले कारनामों का कुछ संज्ञान ले पाएं? लगता है शमशेर के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए इन अफसरों की हिम्मत नहीं पड़ती कि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकें जबकि कानूनन उन्हें इस मामले में संज्ञान लेकर एसएचओ के विरुद्ध हर तरह की कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है लेकिन राजनेताओं की मंशा के विरुद्ध कोई काम करने का जोखिम ये लोग नहीं ले सकते।

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Mazdoor Morcha
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