मज़दूर मोर्चा ब्यूरो स्वर्गीय ताऊ देवीलाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री बनते ही, अपना चुनावी वायदा निभाते हुए बिना किसी भेद-भाव के बुढ़ापा पेंशन एक झटके में लागू कर दी थी; वहीं आज उनके परपोते दुष्यंत चौटाला की बैसाखियों पर चलने वाली खट्टर सरकार ने तीन लाख से अधिक बुढ़ापा एवं विधवा पेंशने एक झटके में काट दी हैं।
1977 के विधानसभा चुनावों के दौरान ताऊ ने एलान किया था कि यदि उनकी सरकार बनी तो 60 वर्ष से ऊपर के प्रत्येक बुजुर्ग को 100 रुपया मासिक वृद्धावस्था पेंशन दी जायेगी। उस वक्त यह एलान मात्र एक भ्रामक चुनावी जुमला प्रतीत होता था। कोई उनके इस वायदे पर भरोसा करने को तैयार नहीं था। लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने अपनी पहली कलम से इस वायदे को पूरा किया था। ऐसा करते वक्त उन्होंने किसी बुजुर्ग से यह नहीं पूछा था कि उसके बेटे कितना कमाते हैं या वह कितनी धन-संपत्ति का मालिक है? देवीलाल द्वारा दी गई इस पेंशन से बुजुर्गों के, खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में, चेहरे खिल उठे, घर में उनका मान-सम्मान बढ़ गया था।
उनके परपोते एवं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सहारे पर चलने वाली खट्टर सरकार ने जब बुजुर्गों की इस पेंशन पर तलवार चलाई तो दुष्यंत को जरा भी लाज नहीं आई। वे चाहते तो अपने परदादा द्वारा दी गई इस सौगात को बचाने के लिये कमजोरी लाल खट्टर के सामने खम्ब ठोंक कर खड़े हो सकते थे, लेकिन उन्हें तो अपनी लूट कमाई के सामने कुछ भी नज़र नहीं आ रहा।
खट्टर सरकार ने बड़ी चालाकी से, देवी लाल द्वारा बनाई गई पेंशन योजना में ऐसा संशोधन कर डाला कि जिससे अभी तक 30 लाख 28 हजार पेंशनधारकों में से 3 लाख पेंशनधारक तो पेंशन से वंचित हो चुके हैं तथा बड़ी संख्या में होने वाले हैं। खट्टर द्वारा किये गये संशोधन के अनुसार किसी भी परिवार की वार्षिक आय यदि 1 लाख 80 हजार से ज्यादा हो तो उसे पेंशन नहीं मिलेगी। दूसरे शब्दों में यदि किसी बुजुर्ग के बेटे को 15 हजार मासिक की आय हो रही है तो उन बुजुर्गों को पेंशन नहीं मिलेगी। खट्टर ने यह सोचने की जहमत नहीं उठाई कि बेटा अपनी पत्नी व चार बच्चों के साथ 15 हजार की इस आय से कैसे गुजारा कर रहा होगा, ऐसे में वह अपने बुजुर्ग मां-बाप को क्या दे पायेगा? इसके बरक्स देवीलाल द्वारा चलायी गयी योजना में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था। उनके बाद आने वाली तमाम सरकारों ने इस पेंशन में लगातार वृद्धि करते हुए इसे 100 रुपये से 2500 रुपये मासिक तक पहुंचा दिया था। मजे की बात तो यह है कि भारतीय जुमला पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान इस पेंशन को बढ़ा कर पांच हजार मासिक करने का जुमला छोड़ा था।
पेंशन काटने के लिये सरकारी हेरा-फेरी भी जिन बुजर्गो की आय 40 हजार सालाना भी नहीं है उनकी भी पेंशन काटने के लिये सरकार ने अपने कर्मचारियों से हेरा-फेरी करा कर उनकी आय अधिक दिखा कर पेंशन पर पोछा मार दिया। प्लॉट नम्बर 12 11-1212 सेक्टर 21 डी में रहने वाले अशोक शर्मा ने इस संवाददाता को बताया कि उनके पास पिछले दिनों सितम्बर 2021 में कोई सरकारी कर्मचारी सर्वे करने के नाम पर आया था। उसके दबाव देने और कहने पर उन्होंने अपनी वार्षिक आय 50 हजार लिख दी थी। सरकारी इशारे पर उस कर्मचारी ने एक बिंंदी और लगाकर उस वार्षिक आय को पांच लाख बना दिया और पेंशन काट दी गई।
काफी भाग-दौड़ एवं पैरवी करने के बाद उन्हें फिजिकल जांच के बाद पेंशन बहाल करने का आश्वासन दिया गया। यह जांच कब तक होगी कोई नहीं जानता लेकिन इतना तो तय है कि तब तक उन्हें यह पेंशन मिलने वाली नहीं है।