फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) इस बार भी बरसात में शहर हर साल की तरह जलभराव के कारण डूबेगा जिसके लिए नगर एफएमडीए को और एफएमडीए नगर निगम को दोषी बताएगा। बरसात से पहले नाले साफ कराने और जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त करने के नाम पर नगर निगम और एफएमडीए करोड़ों रुपयों खर्च कर रहे हैं लेकिन गंदगी से पटे नाले, चोक सीवर लाइनें, खस्ताहाल ड्रेनेज सिस्टम गवाही दे रहे हैं कि जल निकासी के नाम पर केवल धन की बंदरबांट का खेल चल रहा है। बरसात सिर पर आई खड़ी है और अभी टेंडर जारी करने का सिलसिला चल रहा है। यानी टेंडर जारी होने से पहले शहर में जलभराव हो चुका होगा और उसके बाद टेंडर की रकम हड़पने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। नगर निगम और एफएमडीए के अधिकारियों की हरामखोरी और लापरवाही के कारण शहरवासी जलभराव के लिए तैयार रहेंं।
मानसून दस्तक देने वाला है, भ्रष्टाचार के गढ़ नगर निगम के खार्ऊ अधिकारियों ने नाले-नालियों की सफाई का करोड़ों रुपये का बजट तो बहुत पहले बना दिया लेकिन सफाई कहीं भी शुरू नहीं हुई। निकम्मे अधिकारियों ने अब नाला सफाई के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। सेक्टर तीन का नाला, एयरफोर्स रोड नाला, डबुआ मंडी, लेजरवैली पार्क के पास का नाला, नेहरू ग्राउंड का नाला, एसी नगर नाला आदि अधिकतर नाले गाद और गंदगी से पटे होने के कारण चोक हैं। अभी तक इनकी सफाई नहीं की गई है स्थानीय लोगों की मानें तो बीते तीन-चार साल से किसी भी नाले की सफाई नहीं हुई है। यानी जब से सेवानिवृत्त निकम्मों की फौज वाले एफएमडीए ने भी जल निकासी व्यवस्था में दखल दी है तब से यह समस्या और बढ़ी है।
नालों की सफाई नहीं होने पर निगम के अधिकारी एफएमडीए को जिम्मेदार बता कर पल्ला झाड़ लेते हैं, उनके अनुसार एफएमडीए ने छह सौ एमएम से बड़ी सीवर लाइन की सफाई का जिम्मा लिया हुआ है, सीवर लाइनों जाम पड़ी हैं जिसके कारण नालों का पानी भी नहीं जा पा रहा है। एफएमडीए वालों ने सीवर लाइन सफाई करने के लिए नालों का बंद कर दिया है, इस कारण समस्या और बढ़ गई है। यानी जब तक सीवर लाइनें पूरी तरह साफ नहीं होंगी नालों का पानी उनमें नहीं जाने दिया जाएगा। इसी बहाने निगम के अधिकारियों ने भी अभी तक नाले साफ नहीं करवाए। बताया जा रहा है कि नालों की सफाई की टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जल्द ही सफाई का काम शुरू कराया जाएगा। निगम के जानकारों के अनुसार नाला सफाई का काम कागजों पर शुरू कराया जाएगा और बरसात आते ही सब पैसा हजम कर लिया जाएगा।
इधर एफएमडीए के अधिकारी जल भराव के लिए नगर निगम को जिम्मेदार बताएंगे, उनके अनुसार दशकों से जाम पड़ी सीवर लाइनों को डीसिल्ट करने और साफ करने के लिए पीछे से आ रही गंदगी को रोकना पड़ता है लेकिन निगम के अधिकारी सहयोग नहीं करते। कभी कभी तो राजनेताओं से दबाव डलवाया जाता है जिस कारण बीच में ही रोक हटानी पड़ती है और लाइन पूरी तरह साफ नहीं हो पाती। सुधी पाठक जान लें कि 600 एमएम से बड़ी सीवर लाइनें एफएमडीए को हैंडओवर किए तीन साल से अधिक का समय बीत चुका है, तीन साल में एफएमडीए ने जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त करने के नाम पर बीसियों करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन आज तक न तो सीवर लाइन ही पूरी तरह डीसिल्ट हो पाई और न ही नालों की सफाई व्यवस्था चालू हुई। एफएमडीए ने अजरौंदा चौक, ओल्ड अंडर पास और एनएचपीसी चौक अंडरपास को बरसात में जलभराव मुक्त करने के करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट बना डाले लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं किया गया। यानी इस बरसात में भी पूरे शहर की तरह ही अजरौंदा, ओल्ड अंडरपास और एनएचपीसी अंडरपास में जलभराव होना तय है। नालों की सफाई नहीं किए जाने का असर्र बूंदाबांदी में ही नजर आ गया था सारे शहर में कई घंटे जलभराव की स्थिति बनी रही थी। अब बरसात में पानी लोगों के घरों तक घुसने लगे तो आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि नगर निगम-एफएमडीए ने इस बरसात शहर में जलभराव होने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर ऐसे इंतजाम किए हैं।
दरअसल, मोदी-खट्टर-सैनी की डबल इंजन सरकारों ने स्वच्छ भारत, स्मार्ट सिटी, अमृत परियोजना आदि का ढिंढोरा पीट कर जनता को बेवकूफ बनाया। सरकार की मंशा के अनुरूप अधिकारियों ने भी काम बंद कर केवल ढिंढोरा पीटा और बड़े-बड़े घोटाले किए।
किसी भी समस्या का समाधान सटीक योजना और प्रबंधन से होता है न कि नई संस्थाएं खड़ी करने से। डबल इंजन भाजपा सरकारों ने यही किया, पहले मोदी स्मार्ट सिटी की घोषणा की जो बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई, अब एफएमडीए का ढोल पीटा जा रहा है। एफएमडीए में 55 ऐसे निकम्मे, निकृष्ट-चोर अधिकारियों को मोटी तनख्वाह पर भर्ती कर लिया जो नगर निगम, हूडा आदि में रहते हुए अपने आप को नाकारा और बेकार ‘साबित’ कर चुके हैं। यहां भी ये अपनी भ्रष्ट कार्यशैली का ही परिचय दे रहे हैं, एफएमडीए ने करोड़ों रुपये खर्च कर आज तक जो भी प्रोजेक्ट शुरू किया या पूर्ण किया उसने सकारात्मक परिणाम नहीं दिया। सीवर लाइनों का भी यही हाल होना है, और जनता को हर बरसात में भुगतना है।