संजय श्रमण (याद रखिये कि सबसे बड़े शत्रु वे होते हैं, जो आपके महापुरुषों की प्रशंसा करके आपका दिल जीतते हैं, और फिर धीरे से उनकी मूल शिक्षाओं को बदल