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Tag "national police academy"

क्या मजबूत शासन का मतलब मजबूत के लिए शासन होता है? मोदी के लेबर कोड और किसान कानून इसी की बानगी हैं।

लव जिहाद, जाति उन्माद का (यूपी) पुलिस स्टेट विकास नारायण राय नए वर्ष में भी भाजपा सरकारों ने समाज को ऐसे कानूनों का तोहफा देने की जिद नहीं छोड़ी है

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1992 में एसपी करनाल लगने पर मुझे जिला कष्ट निवारण समिति में एक अपहरण का मामला विरासत में मिला जिसके समाधान पर सभी की नजर लगी थी

कानून सवार लव जिहाद बनाम समाज में लव आख्यान विकास नारायण राय (पूर्व डायरेक्टर, नेशनल पुलिस अकादमी)   जो वे राजनीति में देखना चाहते हैं, वही कमोबेश कानून व्यवस्था में

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यह तर्क कि राज्य के पास रोजगार देने के लिए पैसा कहाँ से आएगा, बिहार चुनावी माहौल में शायद ही व्यापक मतदाता समूह के गले उतरे

बिहार में रोजगार के रास्ते आएगी कानून-व्यवस्था विकास नारायण राय क्या यह भी बताने की जरूरत है कि रोजगार और कानून-व्यवस्था के बीच किस कदर सीधा सम्बन्ध होता है। रोजगार

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सवाल है आगे क्या होगा? जम्मू-कश्मीर को पुन: राज्य का दर्जा देना ही पड़ेगा, इसमें अब शायद ही किसी को शक रह गया हो…

पुलिस स्मृति दिवस : सीबीआई से कश्मीर तक पुलिस का राजनीतिक इस्तेमाल विकास नारायण राय (पूर्व डायरेक्टर, नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद)  21 अक्तूबर, पुलिस स्मृति दिवस, साहसी रणनीतिक चुनौतियों का

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क्या उत्तर प्रदेश किसी जातिवादी विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है? योगी शासन का शायद यही मानना है।

पुलिस इन्वेस्टीगेशन में जातिवाद के लिए जगह नहीं विकास नारायण राय (पूर्व डायरेक्टर, नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद) क्या उत्तर प्रदेश किसी जातिवादी विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है? योगी शासन

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दिल्ली पुलिस कमिश्नर को फरवरी दंगों का यह सच भी बताना चाहिए…

  विकास नारायण राय (पूर्व डायरेक्टर, नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद) दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने सुपरकॉप जूलियस रिबेरो की उस चर्चित चिट्ठी का जवाब दे दिया है, जिसमें फरवरी

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नेशनल पुलिस अकादमी के निदेशक ने कश्मीर पर जो कहा, क्या देशहित में मोदी सरकार उसे सुनेगी?

कश्मीर में राष्ट्र्रवादी पाटों की चक्की में पिस रही है कानून-व्यवस्था   विकास नारायण राय (पूर्व डायरेक्टर, नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद)  रणनीति का तकाजा होता है कि जब विपक्षी पर

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अदालत और पुलिस की बुलंदी के बावजूद न्याय की अवमानना का चलन क्यों?

  विकास नारायण राय यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने अपने समय में कहा था, “लोकतंत्र तब है जब अमीर लोग नहीं बल्कि गऱीब लोग शासक होते हैं।” जब हाल में मशहूर

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