कुछ राइटविंग वाले लेखकगण इसे फैक्ट की तरह बनाकर किताब वगैरह में भी लिखने लगे हैं, कुछ दिन बाद ये रिफरेंस का रूप ले लेगा। फिर लोग किताब का नाम