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Tag "kavita"

कविता/प्रजातन्त्र में प्रजा उपेक्षित…..

डॉ. रामवीर प्रजातन्त्र में प्रजा उपेक्षित तन्त्र हुआ है हावी, जन की बातें बेमानी हैं धन ही अधिक प्रभावी। साल पिछत्तर पूर्व विदेशी का कब्जा तो छूटा, किन्तु भारतोदय का

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कविता/ हिन्दू राष्ट्र

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो चुकी थी; हिन्दू राष्ट्र के रोड़े हटाए जा चुके थे; मुसलमान, ईसाई और कम्युनिस्ट खदेड़ दिए गये थे; भारत माता की जय और वंदे मातरम्

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कविता/ठेके पर देश

-डॉ. रामवीर- देख रहा हूं धीरे धीरे बदल रहा परिवेश, देश दिया करता था ठेका अब ठेके पर देश। सब कुछ ठेके पर देने का जब से चला रिवाज, ठेके

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कुछ शानदार पढऩे का मन है तो यह कविता पढ़ लीजिये…..

(युवा कवि सबीर हका ईरान के करमानशाह में सन 1986 में पैदा हुए। अब तेहरान शहर में किराये के कमरे में रहते हैं। अपनी हालत को देखते हुए ईश्वर के

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बेच दिया है जिन लोगों ने…..

बेच दिया है जिन लोगों ने….. डॉ. रामवीर बेच दिया है जिन लोगों ने सस्ते में ईमान, राजनीति की खोले बैठे वे ही आज दुकान। पांच साल में कैसे बन

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