विष्णु नागर हम इसे लोकतंत्र कहते और मानते हैं मगर कारपोरेट घराने इन लोकतंत्रिक दलों को पिछले चार साल में ही 10700 करोड़ दे चुके हैं और इसका 57 प्रतिशत