दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक भास्कर लिखते हैं- आज दुखी हूं, कॉलेज में काम खत्म होने के बाद भी स्टाफ रूम में बैठा रहा, कदम उठ ही नहीं रहे