कविता कृष्णपल्लवी हे भक्तो ! हे भारत-व्याकुल धर्मप्राण बालको ! मेरी बात सुनो ! तुमलोगों को अँधेरे में यूँ ही भटकते और दीवारों से थूथन टकराते देखकर मुझे तो दया
“वाह भाई वाह, कमाल की खबर है!” “कोई ख़ास बात है, क्या?” “बिलकुल, ख़ासम-ख़ास” “हम भी तो जानें” “छपा है कि, चालू साल में यात्रियों के दबाववाले मार्गौं में करीब