back to homepage

Tag "AITUC"

एक जमाना वह भी था जब यूनियन नेता का पता ही नहीं चलता था, छिप-छिप कर यूनियन का गठन किया जाता था और एक जमाना यह आ गया कि यूनियन कब्ज़ाने के लिये लाखों खर्च करके कोर्ट का सहारा लेने में भी कोई शर्म महसूस नहीं होती…

1977-80 के दौरान शिखर पर पहुंची एचएमएस सीटू आज रसातल की ओर क्यों सतीश कुमार  (सम्पादक : मजदूर मोर्चा) इन्दिरा गांधी द्वारा थोपी गयी इमरजेंसी के बाद 1977 में जनता

Read More

जगन्नाथ के गुंडों ने बहुत बेरहमी से पीट-पीट कर बुरी तरह से घायल कर दिया। अनेकों के सिर फटे व हाथ पैर टूटे। उस वक्त मैं भी सीटू मज़दूरों के साथ खड़ा था  और उस हल्ले से इस कदर डर गया था कि भाग ही नहीं सका और जहां का तहां खड़ा रह गया…

गुंडई में ऑटो-पिन मालिकान अव्वल दर्जे पर रहे हैं सतीश कुमार  (सम्पादक : मजदूर मोर्चा) एनआईटी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित ऑटो-पिन मालिकान अपने यहां कार्यरत मज़दूरों का शोषण व प्रताडऩा

Read More

ट्रेड यूनियन आंदोलन की आखिर जरूरत क्या है? सरकार यूनियन बनाने क्यों देती है? उसे चलने क्यों देती है?

सतीश कुमार (सम्पादक, मजदूर मोर्चा)   जैसा कि पिछले अंकों में लिखा जा चुका है कि औद्योगिक मज़दूरों ने संगठित होकर एक बड़े सशक्त ट्रेड यूनियन आन्दोलन को बुलंदियों पर

Read More