डॉ. रामवीर
कल मेरे सपने में भारत माता हुई प्रकट, जो बोली वो बता रहा हूं बिना लाग लपट। मुझे कहा माता ने बेटा सुनना इधर जरा, पता नहीं क्या कहेगी माता मैं थोडा सा डरा।
हां माता जी कहें क्या लाऊं क्या है कोई कष्ट, नहीं नहीं ऐसा तो नहीं सब, ठीक ठाक है वत्स। कोई बात तो होगी माता जो यूं मुझे पुकारा, इतने बेटे हैं तेरे या मैं ही उनमें न्यारा।
हां बेटा, बेटे तो बहुत हैं पर सब नहीं हैं सच्चे, कुछ तो मेरे लाड में बिगडे मुझे ही दे रहे गच्चे। बड़ा पुत्र मोदी कहता था करूंगा तेरी सेवा, वो तो ऐसा झूठा निकला उड़ा रहा है मेवा।
सोचा था ये बडा पुत्र छोटों का रखेगा ध्यान, ये तो मेरी ही बातों पर धरता नहीं है कान। जब देखो अपने ही दोस्तों का घर भरता रहता, और किसानों मजदूरों को गाली देता फिरता।
इसकी अकल गई है चरने हो गया इसे घमंड, तभी तो अपने ही भाइयों को बक देता अंटसंट। मेरे आगे नहीं आता है जानता है डाटूंगी, आने दे इस बार मिला तो इसके पर काटूंगी।
मेरी तरफ से कहना इसको मां है बहुत नाराज, न माना तो सर से लुढक़ कर गिर जाएगा ताज। कल सपने में भारत मां ने जो जो कहा मुझे, मोदी भैय्या, ज्यों का त्यों सब बता रहा हूं तुझे।
अब तुझ पर है मां की बातें मान सके मान, नहीं तो मां के मन में तेरा रहेगा न स्थान।