बीके अस्पताल में ही डॉक्टरों के 10 पद खाली हैं जबकि 11 लंबे समय से छुट्टी पर हैं फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता डॉक्टरों की गंभीर कमी के सवाल पर कहते हैं कि हम एकदम से तो डॉक्टर पैदा नहीं कर सकते। ऐसे में सीएमओ डॉ. विनय गुप्ता जल्द ही जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सीएचसी पर ऑपरेशन की सुविधा शुरू करवाने का दावा कर रहे हैं। यह दावा उन्होंने मज़ाक में किया है या फिर सरकार और नेताओं के झूठे जुमलों से प्रेरित होकर ये तो वही जानते होंगे, सच्चाई ये है कि जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में ही डॉक्टरों के 42 फीसदी पद खाली हैं। उद्घाटन पाखंड में कोई कमी न छोड़ते हुए पहले मंत्री कृष्णपाल गूजर और उसके डेढ़ महीने बाद खट्टर ने गाजे बाजे के साथ जिस मेवला महाराजपुर सीएचसी का उद्घाटन किया था उसमें एक साल बाद भी डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती न होने के कारण नाममात्र की सेवाएं दी जा रही हैं। जब इस स्वास्थ्य केंद्र की यह हालत है तो बाकियों की समझी जा सकती है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने बीते शुक्रवार को कैथल में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई बयान करते हुए माना था कि प्रदेश में चिकित्सकों की भारी कमी है। उन्हें बताया गया था कि कैथल के जिला अस्पताल में महिला एवं प्रसूति विशेषज्ञ तक नहीं है प्रसव कराने के लिए खुद सीएमओ को आना पड़ता है। स्वास्थ्य मंत्री चिकित्सकों के पद भरने की कोई ठोस बात करने के बजाय हरियाणा में 15 मेडिकल कॉलेजों का ढिंढोरा पीटने लगे। उन्होंने दावा किया कि हर मेडिकल कॉलेज में सौ- सौ सीटें हैं, पांच साल में एक बैच निकलता है अब समय आ गया है जब सरकार को अच्छी संख्या में चिकित्सक उपलब्ध होंगे। डॉ. कमल गुप्ता हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री बने हैं लेकिन ऐसा संभव नहीं है कि उन्हें राज्य के मेडिकल कॉलेजों की दुर्दशा का ज्ञान न हो।
पूर्व सीएम खट्टर ने पिछले सालों में जींद, भिवानी, सिरसा, नारनौल और रेवाड़ी में मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया, पढ़ाई तो दूर यहां अभी भवन के नाम पर एक कमरा तक नहीं बना है। जो बने बनाए मेडिकल कालेज हैं उन्हें भी सरकार चला नहीं पा रही है। नूंह, गोहाना, रोहतक और करनाल के मेडिकल कॉलेजों की हालत तो स्वास्थ्य मंत्री का पता ही होगी, इनमें फैकल्टी की कमी तो है जरूरी आधारभूत ढांचा भी पूरा नहीं है। छायंसा का अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज तो नाम का है यहां दो दो डायरेक्टर बदलने के बावजूद ओपीडी भी नहीं चल पा रही है। आईपीडी, आईसीयू, ऑपरेशन थियेटर, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी जैसी आधारभूत सुविधाएं और फैकल्टी भी नहीं हैं। गर्भवतियों की जांच और प्रसूति तक का भी कोई इंतजाम नहीं है। यानी प्रदेश में चिकित्सकों की कमी पूरी होने के दूर दूर तक कोई आसार नजऱ नहीं आते।प्रदेश में जिला अस्पताल में प्रसव कराने के लिए चिकित्सक का अभाव है, ऑर्र्थाेेे सर्जन, जनरल सर्जन, विशेषज्ञ सर्जन के आधे पद खाली पड़े हों लेकिन सरकार भरने की कोई व्यवस्था नहीं कर रही है। फरीदाबाद की बात करें तो यहां पांच शहरी स्वास्थ्य केंद्र, चार सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र, 14 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और दस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, इनके अलावा 60 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। तीस बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक चिकित्सा, सामान्य और माइनर ऑपरेशन, पेथोलॉजी जांच, प्रसव की सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
जिले के नौ स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक तो क्या पर्याप्त फार्मेसिस्ट, नर्सिंग स्टाफ भी नहीं हैं। मेवला महाराजपुर कहने को तो 46 बेड का सीएचसी है लेकिन डॉक्टरों के न होने के चलते कारण वार्ड बंद पड़े हैं, फार्मासिस्ट के भरोसे इसे चलाया जा रहा है, यदि जिले में एक भी चिकित्सक अतिरिक्त होता तो मंत्री कृष्णपाल गूजर अपनी सीएचसी में सबसे पहले उसे तैनात कराते। सीएमओ डॉ. विनय गुप्ता ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑपरेशन किए जाने का प्रस्ताव बना कर उच्च अधिकारियों को भेजा गया है। यदि निदेशालय द्वारा स्वीकृति मिल जाती है तो केंद्रों में यह सुविधा शुरू कराई जाएगी। डॉ. गुप्ता अच्छी तरह जानते हैं कि सरकार नए चिकित्सक भर्ती नहीं कर रही है, तो वो सीएचसी में ऑपरेशन थियेटर चलाने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों को कहां से लाएंगे। निदेशालय उनके प्रस्ताव को स्वीकृति दे पाएगा इसमेें संशय है।
बीके अस्पताल में ही निर्धारित 51 चिकित्सकों की जगह केवल 30 ही काम कर रहे हैं। यहां चिकित्सकों के 10 पद स्थायी रूप से खाली हैं जबकि 11 डॉक्टर ज्वाइनिंग के बाद से ड्यूटी पर ही नहीं लौटे हैं। सीएमओ फरलो काट रहे इन डॉक्टरों को से तो ड्यूटी करवा नहीं पा रहे लेकिन बातें सरकारी प्रवक्ता की तरह कर रहे हैं। लगता है उन्होंने भी मजबूरन सरकार और नेताओं की तरह झूठ बोल कर मीडिया में वाहवाही लूटने और जनता को बेवकूफ बनाने की कला सीख ली है।