फरीदाबाद, मज़दूर मोर्चा ब्यूरो ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्यवाद से भारत को मुक्त कराने को आतुर रहे सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र सोमनाथ बोस को नमो सेना इंडिया का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। इस सेना का काम कहने को तो जनता के बीच सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार करना है लेकिन सोमनाथ के मुताबिक भारत को विश्व गुरु बनाना, यानी संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाना है।
सोमनाथ बोस रविवार को कार्यकर्ताओं से मिलने गोल्फ क्लब आए थे। सवाल यह है कि सोमनाथ बोस को सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार करने की क्या जरूरत पड़ी, जबकि सरकार के पास इसके लिए प्रशासनिक अमला, सूचना एवं जनसंपर्क जैसे भारी भरकम विभागों के अलावा ढिंढोरा पीटने वाली मीडिया भी है। दरअसल भाजपा सरकार उनका नाम इस्तेमाल कर अपने आपको देशभक्त साबित करना चाहती है। सच्चाई यह है कि देश को स्वतंत्र कराने मेेंं संघ या भाजपा का कोई योगदान नहीं रहा, बल्कि माफी वीर सावरकर, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे उनके नेताओं पर स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ ब्रिटिश हुकूमत का साथ देने का आरोप लगता है। ऐसे में संघ और भाजपा अपने स्वतंत्रता संग्राम विरोधी दाग धोने के लिए उन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को इस्तेमाल कर रही है जिनकी विचारधारा कांग्रेस से नहीं मिलती थी।
शहीद राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी की भतीजी गीता लाहिड़ी के बाद सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र सोमनाथ बोस भाजपा और संघ की इसी रणनीति का मोहरा बने हैं। अफसोस है कि आर्थिक साम्राज्यवाद के विरोधी, देश की स्वतंत्रता और एकता के लिए लडऩे वाले सुभाषचंद्र बोस के वंशज सोमनाथ बोस अपने बाबा की विचारधारा के विपरीत फासीवादी, भ्रष्ट पूंजीवादी और लोकतंत्र के मूल्यों पर चोट करने वालों का मोहरा बनकर उनका बिगुल फूक रहे हैं।
उन्हें याद रखना चाहिए कि संघ और भाजपा का चरित्र अपने हित में इस्तेमाल करने के बाद दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेक देने वाला है। चाहे वह लाल कृष्ण आडवाणी हों, यशवंत सिन्हा, शत्रुधन सिन्हा या राजनीतिक साझीदार मायावती, शिव सेना के उद्धव ठाकरे, बिहार के नितीश कुमार सबको अंत में धोखा ही मिला है। महान स्वतंत्रता सेनानी के प्रपौत्र नमो सेना इंंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष का मुखौटा पहन कर तुच्छ कामयाबी पर भले ही खुश हों लेकिन संघ-भाजपा उनसे जाने अनजाने उन मूल्यों की हत्या न करवा दे जिनके लिए सुभाष चंद्र बोस ने निर्वासन झेला, आजाद हिंद सरकार की घोषणा की और आजाद हिंद फौज का नेतृत्व किया जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और महिलाएं सभी को समान महत्व दिया गया।