फरीदाबाद (म.मो.) शहर को स्मार्ट बनाने के लिये सरकार ने, पहले से ही मौजूद ‘हूडा’, नगर निगम व पीडब्लूडी (पब्लिक वर्कर्स डिपार्टमेंट)आदि पर भरोसा नहीं किया। शायद कि सरकार ने इन विभागों को नालायक व भ्रष्ट समझकर दरकिनार कर दिया होगा।
ऐसे में सरकार ने ‘दूध से धुले’ एक नये उपकरण स्मार्ट सिटी कम्पनी लिमिटेड की स्थापना कर डाली। शुरू में इसका धंधा नगर निगम कार्यालय से निगमायुक्त द्वारा ही चलाया जाता रहा। कुछ समय बाद इसके कार्यालय के लिये मैगपाई के लगभग सामने, लाखों रुपये किराये पर एक बिल्डिंग ली गई। इसके लिये अलग से एक आईएएस अधिकारी को नियुक्त किया गया। शहर को स्मार्ट बनाने के नाम पर बरस रहे अरबों रुपये ठिकाने लगाने के लिये लम्बा-चौड़ा स्टाफ भर्ती किया गया, जिसमें नगर निगम से सेवा निवृत लुटेरे इंजिनियरों को भी भर्ती किया गया।
इतना ही नहीं कम्पनी के बड़े अधिकारियों ने, शहर को स्मार्ट बनाने का काम सीखने के नाम पर न केवल देश के बेहतरीन कहे जाने वाले शहरों का भ्रमण किया बल्कि अनेक देशों की भी यात्रायें कर डाली। इस सबके बावजूद काम के नाम पर, ढाक के वही तीन पात। काम-धाम तो इन्हें कुछ करना नहीं था एक ही काम कराना ये लोग अच्छे से जानते हैं, पुरानी बनी-बानाई सड़कों को खोद डालो फिर उन्हें दोबारा से बनाओ। इसी तरह पहले से ही घटिया डाली गई सीवर लाइन को दोबारा खोदो और बनाओ। दरअसल इस तरह के कामों में इन्हें अनाप-शनाप दामों पर टेंडर देकर केवल बिल पास करने होते हैं और मोटा मुनाफा अपनी जेबों में डालना होता है। इसके अलावा सड़कों पर रोशनी के लिये लाइटें लगाना व रंग-रोगन पोतना अच्छे मुनाफे का धंधा है।