फरीदाबाद/गुडग़ांव (म.मो.) ‘जब बोलो झूठ बोलो, बार-बार बोलो, जोर-जोर से बोलो, सदैव झूठ बोलो’ भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिये गये इसी गुरूमंत्र द्वारा हरियाणा सरकार चला रहे मनोहर लाल खट्टर झूठ बोलने के अलावा और कुछ नहीं कर रहे हैं।
संघ में प्रचारक रहकर झूठ बोलने की कला में पूरी महारत हासिल करके वे लगातार राज्य की जनता को बेवकूफ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। स्कूलों को लेकर बोले जाने वाले झूठ के विरोध में अब राज्य के ग्रामीण उठ खड़े हुए हैं। दिनांक 21 को गांव राठीवास जाट व उसके साथ लगते दो अन्य गांव के लोगों ने महापंचायत के बाद, तीनों गांवों के इकलौते सरकारी स्कूल को ताला लगा कर राष्ट्रीय राजर्माग (दिल्ली-जयपुर) की ओर मार्च शुरू कर दिया।
छठी से लेकर दसवीं तक के इस स्कूल में 200 लड़कियां पढती हैं। पढ़ाने के लिये यहां मात्र एक अध्यापक हिन्दी का व दूसरा संस्कृत का है। यानी पांच कक्षायें व पढाने वाले कुल दो अध्यापक। अब ऐसे में क्या पढ़ाई होती होगी, समझा जा सकता है। छात्रायें स्कूल आना बंद कर दें तो खट्टर जी कहेंगे कि जब कोई पढऩे ही न आये तो वे स्कूल को ही बंद क्यों न कर दें?
लेकिन यहां ग्रामीणों ने खट्टर को यह मौका देने की बजाय सडक़ पर उतर कर संघर्ष करने का निर्णय लिया। न केवल बच्चे बल्कि उनके तमाम अविवावक भी राजमार्ग को जाम करने के लिये निकल पड़े। जाहिर है कि राजमार्ग जाम होने से कटने वाली नाक को तो खट्टर जी हर किमत पर बचायेंगे ही। लिहाजा भारी संख्या में पुलिस बल उन्हें रोकने के लिये पहुंच गया। एक के बाद एक बैरिकेड तोड़ते हुए ग्रामीण राजमार्ग के निकट तक पहुंचे ही थे कि एसडीएम मौके पर आ गये।
उन्होंने अगले ही दिन स्कूल के लिये दो और शिक्षक भिजवाने की बात कही। पहली बात तो यह है कि शिक्षक कहीं गोदाम में रखे हैं क्या जहां से उठवा कर एसडीएम उन्हें यहां भिजवा देंगे? समझा जा सकता है कि किसी न किसी अन्य स्कूल से अध्यापकों को यहां भेजा जा सकता है। ऐसे में उस अन्य स्कूल में अध्यापकों की कमी होना स्वाभाविक है। इसे कहते हैं इसकी टोपी उसके सिर और उसकी टोपी इसके सिर। दूसरा प्रश्न पांच कक्षाओं को गणित, साइंस, व अंग्रेजी पढ़ाने के लिये क्या दो अध्यापक ही काफी रहेंगे? ग्रामीणों की यही तो एक मांग है कि सभी विषयों को पढ़ाने वाले अध्यापक उन्हें पर्याप्त मात्रा में चाहियें।
समझना मुश्किल नहीं है कि एसडीएम अपने से पहले कई बार आ चुके शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तरह झूठा आश्वासन देकर तात्कालिक छुटकारा पाना चाहते थे और पाकर चले गये। समस्या तो तब तक ज्यों-की त्यों बनी रहेगी जब तक खट्टर सरकार झूठ बोलना छोडक़र, सही मायनों में शिक्षकों की भर्ती न करे।
यह समस्या कोई एक गांव या दो गांव की नहीं है। गतांकों में ‘मज़दूर मोर्चा’ ने न केवल फरीदाबाद, पलवल, नूह के क्षेत्रों में छात्रों एवं ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख किया था बल्कि पूरे हरियाणा भर के ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे इसी तरह के प्रदर्शनों का उल्लेख किया था। भाजपा सरकार मीडिया पर जो अंकुश लगाये बैठी है उसका उद्देश्य यही है कि सरकार के विरोध में उठने वाली जनता की आवाजों को दबा कर रखा जाय।