फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपये हड़पने वाली मोदी-खट्टर सरकार के चहेतों की कंपनी ईकोग्रीन बंधवाड़ी में कूड़े का पहाड़ छोड़ गई। एनजीटी के आदेश पर भ्रष्ट अधिकारी आम जनता की सेहत की कीमत पर इस कूड़े को आबादी वाले इलाके में खपाने में जी जान से जुटे हुए हैं। जागरूक नागरिकों ने इसकी शिकायत एनजीटी में की तो निकम्मे अधिकारियों ने झूठी रिपोर्ट ही पेश कर राष्ट्रीय हरित अधिकरण को गुमराह कर दिया। शिकायतकर्ता ने प्रशासन की रिपोर्ट को झूठा करार देते हुए एनजीटी में अपने तथ्य रखे हैं। झूठ साबित होने पर अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
एनजीटी ने बंधवाड़ी में खड़े कूड़े के पहाड़ को एक साल में पूरी तरह समाप्त करने का आदेश सितंबर 2022 में दिया था। गुडग़ांव और फरीदाबाद नगर निगम के निकम्मे अधिकारी एक साल तक केवल कूड़ा हटाने के प्लान कागजों पर बनाते रहे। इस पर एनजीटी ने अक्तूबर 2023 में सौ करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना अधिकारियों की जेब से तो वसूला नहीं जाना था, सरकार को देना था और सरकार को ही लेना था। जुर्माना लगने का परिणाम यह हुआ कि अधिकारियों ने किसी भी कीमत पर चाहे जनता की सेहत खराब हो या पर्यावरण को नुकसान, लैंडफिल साइट ढूंढनी शुरू कर दीं। फरीदाबाद में भी आनन-फानन बिना कोई वैज्ञानिक अध्ययन के प्रतापगढ़, समयपुर, सरूरपुर और करनेरा में करीब चार कीले जमीन लैंडफिल साइट बनाने की घोषणा कर दी, इसका स्थानीय स्तर पर तगड़ा विरोध हुआ था बावजूद इसके हठधर्मिता पर उतरे अधिकारियों ने प्रतापगढ़ में लैंड फिल साइट पर काम शुरू कर दिया।
प्रतापगढ़ में लैँडफिल साइट बनाए जाने का विरोध कर रहे सुदेश डागर ने आरटीआई के जरिए मालूम किया कि नगर निगम जिस जगह लैंड फिल साइट बना रहा है वो वन विभाग और स्वास्थ्य महकमे की है, निगम ने दोनों विभागों से एनओसी भी नहीं ली है। इसके बावजूद निगम अधिकारियों ने सितंबर 2023 में दक्ष कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी को साइट विकसित करने का ठेका दे दिया। इसके लिए वन विभाग के संरक्षित पांच सौ पेड़ काट कर ठेकेदार और अधिकारी आपस में बंदरबांट कर गए। साथ ही वहां ट्रॉमल मशीन लगानी शुरू कर दी थी।
सुदेश डागर ने सर्वोच्च न्यायालय के अभिलेख अधिवक्ता गौरव जैन के जरिए पांच फरवरी 2024 को एनजीटी में केस दायर किया था। इस पर एनजीटी ने डीसी फरीदाबाद की अध्यक्षता में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और फरीदाबाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों वाली कमेटी गठित कर दो अप्रैल को रिपोर्ट तलब की थी। कमेटी ने एनजीटी में जो रिपोर्ट पेश की उसमें बताया गया कि मौके पर कोई कूड़ा नहीं पाया गया, न ही ट्रॉमल मशीन पाई गई न ही वहां किसी प्रकार का बिजली कनेक्शन पाया गया। हां, कमेटी ने वन विभाग के अधिकारियों का हवाला देते हुए जानकारी दी कि वहां से आठ फरवरी को 180 पेड़ काटे गए थे, जिनके एवज में पेड़ काटने वाले देवाला नंगली नूंह निवासी रहीश से 23,436 और आजाद से 23,204 रुपये जुर्माना वसूला जा चुका है।
गौरव जैन ने रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा करार देते हुए एनजीटी में अपने तथ्य रखे। उन्होंने दावा किया कि पांच फरवरी को याचिका दायर किए जाने से पहले ही ट्रॉमल मशीन लगाई जा रही थी, इसकी खबर भी कई समाचार पत्रो में प्रकाशित हुई थी। नई के नाम पर पुरानी ट्रामल लगाए जाने के वीडियो भी लोगों ने सोशल मीडिया पर अपलोड कर सरकार और निगम अधिकारियों को चेताया था। कमेटी ने आठ फरवरी को 180 पेड़ काटे जाने की बात तो बताई लेकिन पांच सौ पेड़ काटे जाने की सच्चाई छिपा गई। उन्होंने पांच फरवरी को याचिका डाली थी उसमें पांच सौ पेड़ काटे जाने की शिकायत की गई थी। इसी तरह कमेटी ने कोई बिजली कनेक्शन नहीं होने का भी झूठ बोला। गौरव जैन ने दावा किया कि सेक्टर 55 बिजली निगम के एसडीओ प्रमोद कुमार ने एसटीपी के 2500 किलोवाट के लोड कनेक्शन से ही डंपिंग यार्ड तक 66 केवी का कनेक्शन दिए जाने की रिपोर्ट को मंजूरी दी है जिसे कमेटी ने छिपाया है। जस्टिस श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 5 जुलाई को अगली सुनवाई में गौरव जैन को दावों संबंधी सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। गौरव जैन के अनुसार कमेटी को झूठा साबित करने के साथ ही वो अवमानना का केस भी दायर करेंगे, झूठी रिपोर्ट लगाकर प्रशासन प्रतापगढ़ में रहने वाली करीब आठ लाख की आबादी, बीस विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों की सेहत से खिलवाड़ कर रही है।
इकोग्रीन कपंनी कूड़े से खाद-बिजली बनाने का ढिंढोरा पीट कर करीब नौ साल में करोड़ों रुपये झटक ले गई। पूर्व सीएम खट्टर भी कूड़े से खाद-बिजली बना कर सरकार की आय बढ़ाने और आम जनता को सस्ती बिजली देने की जुमलेबाजी जोर शोर से करते रहे। बिजली खाद तो बनी नहीं, बंधवाड़ी में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया। कंपनी ने तो घरों से निकलने वाले सूखे और गीले कचरे को अलग भी नहीं किया। शहर से प्रतिदिन औसतन सोलह सौ टन कचरा बंधवाड़ी प्लांट पहुंचता रहा। इसके लिए कंपनी को लाखों रुपये भुगतान होता रहा। बंधवाड़ी में ये कूड़े का पहाड़ खड़ा ही नहीँ होता और बिजली भी बनती यदि निकम्मे और भ्रष्ट अधिकारी घरों से निकलने वाले कूड़े की हाथोंहाथ छंटाई करवाते। लेकिन हर जगह ऊपरी कमाई तलाशने वाले ये अधिकारी समस्या का समाधान तलाशने की मेहनत नहीं करना चाहते। यही कारण है कि इन निकम्मे अधिकारियों ने कूड़ा डंप करने के लिए जो पांच जगहें चुनी हैं वह खेती और आबादी वाले इलाकों में या उनके पास स्थित है। बंधवाड़ी के पहाड़ और उनसे निकलने वाले जहरीले तत्व गवाह हैं कि यह इलाके के लिए कितने खतरनाक हैं, यदि शहर में इसी तरह के पांच लैंडफिल साइट बनाए गए तो पूरा शहर दूषित और जहरीली आबोहवा वाले इलाके में तब्दील हो जाएगा।