“श्रम क़ानूनों के बारे में हरियाणा सरकार अपना रुख स्पष्ट करे” मंत्री के दफ़्तर पर, लखानी के मज़दूरों की ललकार

“श्रम क़ानूनों के बारे में हरियाणा सरकार अपना रुख स्पष्ट करे” मंत्री के दफ़्तर पर, लखानी के मज़दूरों की ललकार
April 24 15:23 2023

सत्यवीर सिंह
गुस्से में तिलमिलाए लखानी के मज़दूर, यूँ तो, लखानियों की किसी ना किसी फैक्ट्री में, हर रोज़ ही चीखते- चिल्लाते रहते हैं, लेकिन वह स्वत:स्फूर्त आक्रोश होता है, दो-चार घंटे में तूफ़ान गुजऱ जाता है. शातिर मालिक उससे निबटना जानते हैं; फिर कोई तारीख दे देते हैं, मज़दूरों के बक़ाया वेतन, ओवरटाइम, बोनस, ग्रेचुटी, पी एफ के उनके बक़ाया के भुगतान की. ‘लखानी मज़दूर संघर्ष समिति’ के बैनर तले संगठित होकर, संघर्ष का जो सुसंगठित अभियान, मज़दूरों ने इस बार छेड़ा है, वह पहली बार हुआ है. लखानी मालिक, श्रम क़ानून लागू कराने के लिए जि़म्मेदार सरकारी विभाग और सरकार के साथ-साथ फऱीदाबाद के जन-मानस तक इन मज़दूरों की चीख़ें पहुँचने लगी हैं.

‘मज़दूर मोर्चा’ के पिछले अंक की रिपोर्ट, ‘लखानी के मज़दूर, देश के श्रम क़ानून लागू कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं; उनका साथ दीजिए’ के अनुरूप, संघर्ष की शुरुआत करते हुए, 16 अप्रैल को, चिलचिलाती धूप की परवाह ना करते हुए, महिलाओं सहित भारी तादाद में लखानी के मज़दूर, सुबह 10 बजे, YMCA चौक पर इकठ्ठा होना शुरू हो गए थे. मौके पर लोकल मीडिया और मज़दूर यूनियनों के नेता भी प्रभावशाली रूप में मौजूद थे. बडख़ल क्षेत्र के 7 दिहाड़ी मज़दूर, जिन्हें हर रोज़, अपना श्रम बेचने के लिए अनखीर लेबर चौक पर खड़ा होना होता है, अपनी दिहाड़ी की परवाह ना कर, लखानी के संघर्षरत कामरेडों का साथ देने के लिए मोर्चे में मौजूद थे. बैनर, तख्तियां, लाल झंडे थामे, ज़ोरदार नारे लगाता, मजदूरों का जत्था 11.30 बजे, सेक्टर 8 स्थित, हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा के दफ़्तर पहुंचा.

मंत्री महोदय को कार्यक्रम की जानकारी होने के बावजूद, उसी वक़्त उन्हें किसी ‘बहुत ज़रूरी’ काम से बाहर जाना पड़ा!! फऱीदाबाद की 19 लाख की आबादी में 60 प्रतिशत तादाद औद्योगिक मज़दूरों की है. मतलब, इन्हीं मज़दूरों के वोट से विधायक और माननीय मंत्री बने, शर्मा जी के स्टाफ और पुलिस की संवेदनहीनता ने मज़दूरों के क्रोध में घी का काम किया, जब जला डालने वाली गर्मी में, उन्हें बाहर सडक़ पर ही रोक दिया गया, जबकि दूसरी ओर, तीन मंजि़ला दफ़्तर और साइड के बगीचे में मंत्री जी के ‘अपने’ लोगों का जमावड़ा छाँव में आराम- फर्मा था. गर्मी ने सभा का तापमान बढ़ा दिया था. सबसे पहले, सीटू के जिला महासचिव कॉमरेड वी एस डंगवाल और जिला अध्यक्ष एन के पाराशर ने अपने विचार रखते हुए, लखानी के बहादुर मज़दूरों की न्याय की लड़ाई को अपना पूर्ण समर्थन, एकजुटता और संयुक्त आन्दोलन चलाने का भरोसा दिलाया.

सभा का संचालन करते हुए, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा के अध्यक्ष कॉमरेड नरेश और मुख्य वक्तव्य रखते हुए, महासचिव कॉमरेड सत्यवीर सिंह ने, लखानी के मज़दूरों के पिछले 6 महीनों के आन्दोलन को सामने रखते हुए बताया, कि कैसे फऱीदाबाद के उप-श्रमायुक्त के कड़े लिखित आदेश के बावजूद, के सी लखानी ने दीवाली के मौक़े पर भी मज़दूरों के बक़ाया भुगतान में से कुछ भी देने से इंकार कर दिया था. इन हज़ारों मज़दूरों के बच्चे, दीवाली पर भी इंतज़ार ही करते रह गए कि ‘पापा मिठाई लेकर आएँगे’!! पी एफ विभाग के सहायक आयुक्त ने, कैमरे के सामने स्वीकार किया, कि छोटा भाई, पीडी लखानी 2012 से और बड़ा भाई, केसी लखानी 2020 से, मज़दूरों के पीएफ का काटा पैसा जमा नहीं कर रहे हैं. श्रम विभाग के अधिकारी स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि मज़दूरों की गुहार सुनना तो छोडिए, लखानी अथवा उनके अधिकारी, श्रम अदालतों में भी कभी हाजिऱ नहीं होते. उन्हें ख़ुद बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है. लखानियों को इस बात की जऱा भी चिंता नहीं है कि श्रम अदालतों में उनकी गैर-हाजऱी से उनके विरुद्ध एक-तरफ़ा फैसला हो जाएगा. क्योंकि वे जानते हैं कि वह फैसला लागू नहीं हो पाएगा. ‘कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता’, चीखते-चिल्लाते मज़दूरों के सामने, हर वादे पर दी जाने वाली उनकी भभकी, हवाई नहीं है!!

श्रम-क़ानूनों को लागू कराने के लिए जि़म्मेदार, अधिकारी ऐसा क्यों बोलते हैं कि हरियाणा सरकार ने उनके हाथ बांध रखे हैं, हम कुछ नहीं कर सकते? क़सूरवार मालिक के कारखाने में, उसकी अनुमति के बिना घुस भी नहीं सकते; आपको क्या-क्या बताएं? गऱीबों पर बुलडोजऱ लेकर चढ़ जाने वाली, उनकी झोपडिय़ों को तबाह कर डालने वाली, भाजपा की ‘बलशाली, डबल इंजन’ सरकार, श्रम क़ानूनों को लागू कराने और श्रम अदालतों के अपमान के बारे में अपना रुख स्पष्ट क्यों नहीं करती?

सरमाएदारों की ऐसी नंगी ताबेदारी तो कांग्रेस ने भी कभी नहीं की. वह क्या आदेश है जिसने इन सरकारी विभागों को पंगु बनाकर रख दिया है, कारखानेदारों को मनमानी अंधेरगर्दी करने की छूट दे रखी है? मज़दूर पिसते जा रहे हैं, उनका आक्रोश बिस्फोट का आकार ले सकता है; क्या ये हकीक़त इस ‘राष्ट्रवादी-देशभक्त’ सरकार को मालूम नहीं? इन धधकते सवालों का जवाब हरियाणा सरकार से मांगने के लिए ही लखानी-मज़दूर, मंत्री जी के ‘दरबार’ में हाजिऱ हुए थे. ज्ञापन स्वीकार करते हुए, मंत्री के पीए ब्रिज किशोर ने भरोसा दिलाया है, ‘आप लोगों के ज्ञापन और भावनाओं से मंत्री जी को अवगत करा दिया जाएगा और सरकार जल्दी ही इस बाबत अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी’.

आक्रोश प्रदर्शन का सबसे अहम पहलू, इसमें उपस्थित मज़दूरों, खास तौर पर महिला मज़दूरों द्वारा बेबाक तरीक़े से अपनी बात रखना था. रजनीश, अशोक, भूपेंदर, रजनी आदि ने बताया कि लखानी के मज़दूर किए स्तर का शोषण-उत्पीडऩ झेलने को मज़बूर हैं.

सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा रेहड़ी पटरी संघ से कॉमरेड जगराम और बल्लभगढ़ के समाजसेवी अतुल भी, मज़दूरों का उत्साह बढ़ाने और उनकी तहरीक में हिस्सेदारी के लिए सभा में हाजिऱ रहे. लखानी मज़दूर आन्दोलन की अगली कड़ी, 23 अप्रैल को माननीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के माध्यम से प्रधानमंत्री और 24 अप्रैल को श्रम-उपायुक्त, भविष्य-निधि उपायुक्त, कर्मचारी राज्य बीमा निगम के क्षेत्रीय डायरेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री हरियाणा को ज्ञापन देने के कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए लखानी मज़दूर मुस्तैदी से डटे हुए हैं. इस तहरीक़ के मौजुदा प्रथम चरण का समापन, मज़दूर दिवस, 1 मई को औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूर रैली एवं सभा से होगा.

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Mazdoor Morcha
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