फरीदाबाद (म.मो.) अनंगपुर गांव के 30 वर्षीय अमित भड़ाना के लापता होने के 13 दिन के बाद ग्रामीणों को 28 अक्तूबर को पता लगा कि उसका शव उनके ही क्षेत्र की एक बड़ी झील में मौजूद है। थाना सूरजकुंड को सूचना दी गयी तो एसएचओ सोहनपाल ने खुद मौके पर जाने के बजाय चार पुलिकर्मी भेज दिये। इस बात का पता जब सम्बंधित एसीपी को लगा तो उन्होंने एसएचओ को हड़़काया और मौके पर पहुंचने का आदेश दिया।
बड़े अनमने मन से सोहनपाल मौके पर पहुंचे तो उस वक्त शाम के 6 बज चुके थे। अंधेरे का बहाना कर एसएचओ ने कहा कि रात में शव ढूंढना मुश्किल होगा, इस लिये सुबह कार्यवाही शुरू करेंगे। इतना कह कर वे चलते बने। लेकिन जाने से पहले ग्रामीणों ने इस एसएचओ बने अपने सजातीय भाई को अच्छी खरी-खोटी सुनाने के बाद शव तलाशने का काम खुद शुरू कर दिया। रोशनी के लिये वाहनों की हेडलाइटों का इस्तेमाल करते हुए गांव के 18 नौजवान लड़के झील में उतरे। कई घंटों की जोखिम भरी मेहनत के बाद वे लोग शव को निकाल पाने में सफल हुए। देखा जाय तो इस अभियान में एसएचओ को कुछ खास नहीं करना था। अधिक से अधिक वह प्रशिक्षित गोताखोर बुला सकता था, फायर ब्रिगेड की सहायता प्राप्त करने के साथ-साथ रोशनी का बेहतर इन्तजाम कर सकता था। इसके अलावा एसएचओ के हाजिर रहने से ग्रामीणों की हौंसला अफजाई हो सकती थी।
इस ओछी हरकत के बाद सोहन पाल ने अपनी पीठ थपथपाते हुए कुछ तथाकथित बड़े राष्ट्रीय अखबारों में खबर छपवाई कि उन्होंने रात भर बड़ी मेहनत करके शव को झील से निकलवाया। संदर्भवश यह बताना भी जरूरी है कि शव तीन-चार दिन पुराना होने की वजह से काफी गल-सड़ चुका था। उसके कई हिस्सों को जलजीवों ने खा भी लिया था। यदि रात भर और झील में पड़ा रहा होता तो जलजीव उसे और भी खा सकते थे।
गौरतलब है कि सोहनपाल ने, केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर व मुख्यमंत्री खट्टर की सिफारिशों से थाना सूरजकुंड कोई लाशें ढूंढने के लिये तो पकड़ा नहीं है। उसका तो एकमात्र लक्ष्य यहां से लूट कमाई करना है, जो क्षेत्र की जनता को भी स्पष्ट नज़र आ रहा है।