शिक्षकों से पढ़ाई नहीं करवानी, बाकी सभी काम करवायेंगे

शिक्षकों से पढ़ाई नहीं करवानी, बाकी सभी काम करवायेंगे
March 02 04:36 2022

फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 24 फरवरी को बीके अस्पताल के प्रांगण में जुटे सैंकड़ों शिक्षकों ने सरकार की शिक्षा विरोधी नीति के विरुद्ध जमकर नारेबाज़ी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें बच्चे पढ़ाने की बजाय गली-गली में घूम कर छोटे बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का काम सौंपा गया है। विदित है कि आंगनवाड़ी तथा आशा वर्कर की हड़ताल के चलते इन शिक्षकों को अतिरिक्त रूप से बुलाया गया है।

वैसे भी इन शिक्षकों से बेगार लेने की प्रथा बहुत पुरानी है। पोलियो अभियान हो या जनगणना अथवा कोई सर्वे अभियान हो तो इन शिक्षकों को पकड़ कर इन कामों में जोत दो। चुनाव ड्यूटी तो इनके जिम्मे स्थायी रूप से है ही। चुनाव चाहे पंचायत का हो या नगर निगम का अथवा विधान सभा और लोकसभा का हो तो मुफ्त के मज़दूर, सदैव ये शिक्षक ही उपलब्ध रहते हैं। चुनावी ड्यूटी कोई एक-दो दिन की नहीं होती, इसका काम लगभग हमेशा ही चलता रहता है। नई वोटर बनाने हों या पुरानी वोटर लिस्टों में कोई सुधार या संशोधन करने हों तो इस काम के लिये सदैव शिक्षकों को ही लगाया जाता है। कई शिक्षक तो ऐसे हैं जो महीनों-महीनों स्कूल न जाकर लगातार चुनाव अधिकारियों की सेवा में ही जुटे रहते हैं।

समझा जा सकता है कि जब बच्चों को पढ़ाने के लिये शिक्षक उपलब्ध ही नहीं होंगे तो बच्चे पढ़ेंगे क्या और वे स्कूल में आकर करेंगे क्या? इन हालात में कोई भी अभिभावक, बाड़ों में परिवर्तित हो चुके इन स्कूलों में अपने बच्चों को क्यों भेजेंगे? जिनके पास भी थोड़ी बहुत सामथ्र्य होती है वह अपने बच्चों को निजी स्कूलों में ही पढ़ाना पसंद करते हैं।

दूसरी ओर जब परीक्षा परिणाम में बड़ी संख्या में बच्चे फेल निकलते हैं तो इन्हीं शिक्षकों की जवाब-तलबी होती है। परिणाम अच्छा न लाने की सूरत में इन्हीं के विरुद्ध तरह-तरह की विभागीय कार्रवाईयां भी की जाती हैं। किसी की वेतन वृद्धि रोक दी जाती है तो किसी का तबादला दूर-दराज कर दिया जाता है। इन्हीं सब बातों को लेकर शिक्षकगण अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

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Mazdoor Morcha
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