फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। खट्टर सरकार स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों को भर्ती करेगी। नौकरी के लिए संघर्षरत हज़ारों टीजीटी-पीजीटी अभ्यर्थियों को भर्ती करने के बजाय सेवानिवृत्त शिक्षकों की दोबारा तैनाती का यह षणयंत्र संघ-भाजपा के शिक्षा का भगवाकरण करने के एजेंडे से प्रेरित माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री खट्टर प्रदेश में शिक्षा के स्तर सुधारने के प्रति कितने गंभीर हैं इससे समझा जा सकता है कि 2019 में पीजीटी शिक्षकों के लिए निकाले गए 4476 पदों पर आज तक भर्ती नहीं हो पाई है। योग्य उम्मीदवारों की जगह संघ-भाजपा के चहेतों को नौकरी की रेवडिय़ां बांटने के लिए सरकार के इशारे पर आयोग ने भर्ती प्रक्रिया में बार-बार बदलाव किए। इससे परेशान योग्य अभ्यर्थियों ने अप्रैल 2023 में न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने फिलहाल भर्ती पर रोक लगा रखी है। अभ्यर्थियों के हक में कोई कदम उठाने के बजाय सरकार मामला न्यायालय में विचाराधीन होने का बहाना बना कर चुप है।
टीजीटी-पीजीटी अभ्यर्थियों को नौकरी तो दी नहीं लेकिन खट्टर ने स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए पहले प्रधानमंत्री श्री योजना लागू करने का ढिंढोरा पीटा, इसके बाद मॉडल संस्कृति स्कूल बनाने की घोषणा की।
केवल घोषणाओं से शिक्षा के स्तर में सुधार होने से रहा। प्रदेश के राजकीय स्कूलों में शिक्षकों के औसतन पच्चीस फीसदी पद खाली हैं। फरीदाबाद में तो राजकीय स्कूलों में 29.67 फीसदी पद खाली है। इनमें विज्ञान, गणित समाजशास्त्र, भाषा जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं जिनके शिक्षकों के बिना ही सामान्य और मॉडल संस्कृति स्कूलों के छात्र पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
जो पद भरे भी हैं उनके शिक्षकों को शिक्षण कार्य के बजाय वोटर लिस्ट तैयार करने, बीएलओ, टीकाकरण में सहयोग, राजकीय या राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों की तैयारी व प्रबंधन, जागरूकता रैली आदि जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों में जबरन लगाया जाता है।
शिक्षित बेरोजगारों को नौकरी देने के बजाय खट्टर अब सेवानिवृत्त शिक्षकों को ही दोबारा नौकरी देने की तैयारी कर रही है। संघ-भाजपा के जानकारों के अनुसार खट्टर सरकार इस बहाने पार्टी और संघ समर्थक सेवानिवृत्त शिक्षकों को फायदा पहुुंचाने की नीयत से काम कर रही है। केवल उन्हीं सेवानिवृत्त शिक्षकों को दोबारा तैनाती मिलेगी जो अभी तक शिक्षा में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से संघ-भाजपा का एजेंडा लागू करते थे, दूसरी विचाराधारा वाले रिटायर्ड शिक्षकों को कुछ नहीं मिलने वाला।
खट्टर सरकार बेरोजगार टीजीटी, पीजीटी अभ्यर्थियों को स्थायी नौकरी देने के प्रति कतई गंभीर नहीं है। जब भी कोई मुलाजिम भरती होता है तो उसकी रिटायरमेंट की तिथि भी स्पष्ट कर दी जाती है। पिछले नौ साल में खट्टर को ये तो पता चल ही गया होगा कि कौन कब भर्ती हुआ और कब रिटायर होगा। अगर खट्टर शिक्षकों की भर्ती के प्रति गंभीर होते या उनकी रुचि होती तो रिटायरमेंट से पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाती। अब सेवानिवृत्त शिक्षकों का ड्रामा किया जा रहा हैं, बेराजगार शिक्षकों को नहीं भर्ती किया जा रहा।
खंड जिला शिक्षा अधिकारी महेश कुमार के अनुसार जिले के राजकीय स्कूलों में शिक्षकों के 4951 पद स्वीकृत हैं, इनमें महज 2824 पर ही स्थायी शिक्षक तैनात हैं। 658 अतिथि शिक्षकों को भी लगाया गया है। बावजूद इसके जिले में 29.67 फीसद यानी 1469 पद खाली हैं। अगले शैक्षणिक सत्र में इन पदों को सेवानिवृत्त शिक्षकों से भरने की तैयारी चल रही है। सर्वविदित है कि संघ मुस्लिम, ईसाई, वामपंथी और बुद्धिजीवियों की कट्टर विरोधी है। संघ का राजनीतिक विंग कही जाने वाली भाजपा के मुख्यमंत्री खट्टर भी आधुनिक शिक्षा के जरिए समाज में बुद्धिजीवी नहीं बढऩे देना चाहते इसीलिए आधुनिक विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती में रुचि नहीं ले रहे हैंं।