फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नकारात्मक परिणाम आने के बावजूद झूठे दस्तावेज लगाकर राज्य शिक्षक पुरस्कार हड़पने वाला, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) की धनराशि हड़पने और गबन करने का दोषी संस्कृत शिक्षक यतींद्र कुमार शर्मा खुद को बेगुनाह साबित करवाने के लिए उच्च अधिकारियों से सांठ गांठ करने में जुटा हुआ है। बताया जा रहा है कि खुद को निर्दोष साबित करवाने के लिए उसने जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी मनीराम को अपने जाल में फंसा लिया है। जिस तरह फर्जी जानकारियां देकर उसने राज्यपाल से पुरस्कार प्राप्त किया था उसी तरह मनीराम को गलत जानकारियां देकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर चुका है, जल्द ही उसे सेवा विस्तार मिल जाएगा।
शिक्षा विभाग का शातिर संस्कृत अध्यापक यतींद्र कुमार शर्मा सेहतपुर स्थित सरकारी स्कूल में 2001-06 तक रहा। इस दौरान उसके विषय संस्कृत का परीक्षा परिणाम हमेशा नकारात्मक ही रहा। राज्य शिक्षक पुरस्कार पाने की शर्तों में शिक्षक के विषय का परीक्षा परिणाम सकारात्मक होना चाहिए। यतींद्र ने इन तथ्यों को छिपा कर और गलत जानकारियां देकर वर्ष 2009 में राज्य शिक्षक पुरस्कार किसी तरह हथिया लिया था। शिकायत होने पर जांच हुई, भ्रष्ट यतींद्र ने यहां भी खेल कर दिया और शिक्षा विभाग की एडिशनल डायरेक्टर किरण मई से मिलीभगत कर डाली, उन्होंने शिकायत खारिज कर दी। दोबारा जांच हुई और आरोप सही पाए गए, और 2022 में उससे यह पुरस्कार वापस ले लिया गया लेकिन पुरस्कार के साथ मिलने वाले आर्थिक लाभ अभी भी उससे वापस नहीं लिए गए हैं।
राजनीतिक संरक्षण प्राप्त यतींद्र शर्मा 2011 से 2015 के बीच छात्रों की यूनिफार्म, स्टेशनरी आदि के लिए आने वाली करीब 37 लाख रुपये की ग्रांट हड़प चुका है। उसने इनसे संबंधित कोई भी दस्तावेज आज तक विभाग में प्रस्तुत नहीं किए, जबकि उससे रिकवरी की सिफारिश की जा चुकी है। गबन करने के कारण ही तत्कालीन डीईओ ऋतु चौधरी ने 14 अक्तूबर 2020 को उसे निलंबित कर दिया था।
यही नहीं सेहतपुर में ड्राइंग एंड डिस्बर्सिंग ऑफिसर (डीडीओ) पद का दुरुपयोग करते हुए यतींद्र ने कई कर्मचारियों को निर्धारित से अधिक छुट्टियां दीं और फरलो पर भेजा, उन्हें इस दौरान का वेतन जारी करवाया गया, इससे राज्य के खजाने का नुकसान हुआ।
स्कूल में शौचालय, कमरे आदि बनने के लिए कम निर्माण सामग्री मंगवा कर ज्यादा का बिल लगाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया, 2 लाख रुपये के बिल को फर्जी तरह से बढ़ा कर 2.26 लाख का बना कर रकम भी वह हड़प गया। डीडीओ रहते हुए उसने उन शिक्षकों को (एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेसिव) एसीपी का लाभ दिलवा दिया जो इसके पात्र नहीं थे, जबकि पात्र शिक्षकों को इससे वंचित रख कर उनके अधिकारों का हनन किया। उसकी करतूत के कारण ही अपात्र शिक्षकों को आज तक एसीपी का लाभ मिल रहा है। सारे दोष साबित होने के कारण उसके खिलाफ रूल सात के तहत चार्जशीट दी जा चुकी है और न्यायालय ने भी उसके खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश जारी किया है।
इतने गंभीर दोष पाए जाने के बावजूद 55 वर्षीय यतींद्र अपनी सेवा विस्तार कराने में कामयाब हो गया तो समझा जा सकता है कि सरकार में किस दर्जे तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। जिस शिक्षा निदेशालय ने रूल सात की चार्जशीट जारी की, गबन के 37 लाख रुपये रिकवरी की प्रक्रिया उसके खिलाफ शुरू की, जांच लंबित होने, अदालत में केस विचाराधीन होने के बावजूद उसी निदेशालय से यतींद्र को सेवा विस्तार की अनुमति दी जा रही है तो समझा जा सकता है कि भ्रष्टाचार प्रशासन से लेकर शिक्षा निदेशालय तक गहराई तक व्याप्त है। निदेशालय में कोई भी काम शिक्षामंत्री सीमा त्रिखा की जानकारी के बिना हो यह भी संभव नहीं है।
इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यतींद्र ने अपनी बहाली के लिए शिक्षामंत्री सीमा त्रिखा की परिक्रमा कर यथोचित भेंट अर्पित की और सजातीय होने का हवाला देते हुए नैया पार लगाने की गुहार लगाई हो, जिसके प्रसाद स्वरूप उसे सेवा विस्तार का वरदान प्राप्त हुआ है।