फरीदाबाद (म.मो.) दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा स्थापित स्कूली शिक्षा मॉडल का अत्यधिक दबाव गुजरात में, जहां तीन माह बाद चुनाव होने हैं, पड़ता देख कर प्रधानमंत्री मोदी ने भी लम्बी-लम्बी छोडऩी शुरू कर दी है। उनके लिये यह कोई नई बात नहीं है। अक्सर चुनावों के निकट आने पर वे ऐसे हथकंडे अपनाते रहे हैं। अखबारों में सुर्खियां बटोरने के लिये उन्होंने पीएमश्री स्कूलों को खोलने का एलान किया है। वैसे इसकी घोषणा वे एक वर्ष पूर्व करके भूल चुके थे।
मौजूदा घोषणा के अनुसार वे देश भर के कुल स्कूलों के 1 प्रतिशत को ही इस श्रेणी में लायेंगे। केवल 1 प्रतिशत ही क्यों तमाम स्कूल क्यों नहीं? शेष 99 प्रतिशत स्कूलों के बच्चे कहां पढ़ेंगे? बीते आठ साल से सरकार चला रहे मोदी जी इस बाबत कुछ नहीं बताते। वे यह भी नहीं बताते कि उक्त 1 प्रतिशत स्कूल कौनसी तारीख तक चालू हो जायेंगे? क्या इसके लिये भी 2047 तक का लक्ष्य रखा गया है?
संदर्भवश सुधी पाठक जान लें कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा देश भर के प्रत्येक जि़ले में जो नवोदय विद्यालय खोले गये थे, वे भी मोदी सरकार से सम्भल नहीं पा रहे। ऐसे आधे से अधिक स्कूलोंं में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं, करीब 40 प्रतिशत अध्यापकों के पद भी खाली पड़े हैं, और बात करते हैं नये स्कूल खोलने की।
फरीदाबाद में बदहाल सरकारी स्कूल जनता को मूर्ख बनाने के लिये खट्टर सरकार ने झूठ के गोले दागते हुए अपने दुर्दशाग्रस्त कुछ स्कूलों का नाम बदल कर संस्कृति मॉडल स्कूल रख दिया है। इन्हें सीबीएससी से सम्बन्धित करने के साथ-साथ यहां शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी कर दिया गया है। सरकार के इस चकमे में आकर शिक्षा को तरसते लोगों की भीड़ इन स्कूलों पर टूट पड़ी। दाखिलों की एक संख्या के बाद प्रिंसिपल दाखिला देने से मना कर देते हैं और सरकार ढोल पीटती है कि सबको दाखिला दिया जायेगा। लोग इसी चक्रव्यूह में चक्कर काटते रह जाते हैं।
सीबीएससी व अंग्रेजी माध्यम के नाम पर लोग यहां 500 रुपये मासिक तक की फीस भरने के बावजूद शिक्षा पाने से वंचित हैं। नियमानुसार 35 बच्चों का जो सेक्शन होना चाहिये वो 60-70 तक कुछ भी हो सकता है। किसी भी स्कूल में 50 प्रतिशत से अधिक शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। चुनाव अथवा आये दिन होने वाले किसी न किसी राष्ट्रीय कार्यक्रम में इन शिक्षकों को झोंक देने के बाद तो स्कूल लगभग पूरी तरह से अध्यापक-रहित हो जाते हैं।
निकटवर्ती गांव मवई में राजकीय माध्यमिक विद्यालय में 7 अगस्त को छात्रों ने साढे नौ बजे से लेकर साढ़े 12 बजे तक, शिक्षकों की कमी को लेकर, गेट पर ताला लगा दिया। यहां छात्रों का कहना है कि छठी से आठवीं क्लास तक 193 विद्यार्थी हैं जिसमें मात्र एक संस्कृत के अध्यापक हैं। विद्यालय के हेड शिक्षक सहित एक और का तबादला कर दिया गया। चार शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेबल अधिकारी) लगा दिया गया। ऐसे में स्कूल में पढाने के लिये कोई अध्यापक नहीं है,
यहां छात्रों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इन छात्रों के साथ-साथ स्थानीय निवासी भी धरने में मौजूद रहे। ग्रमीणों ने अपना रोष प्रकट करते हुए कहा कि बल्लबगढ़, उपखंड के तिगांव, पन्हेड़ा, खुर्द, चांदपुर, हीरापुर, भैंसरावली स्थित विद्यालयों में भी ऐसा ही हाल है।