नीलिमा मिश्रा शनि का एग्जिट पोल और मंगल का रिजल्ट ऐसा कि तमाम भक्त चुप्पी साध गए। वॉट्सएप गु्रप सूने पड़े हैं। शेयर बाजार में 32 लाख करोड़ डूब गए। अयोध्या ने बीजेपी को फिर उसी तरह सबक सिखाया, जिस तरह बाबरी ढांचा गिरने के बाद सिखाया था। नरेंद्र मोदी को गुजरात के उस बनासकांठा ने हार का तोहफा दिया, जहां उन्होंने भैंस छीनने वाला जुमला फेंका था। जिस चित्रकूट में राम ने तप किया, वहां से भी बीजेपी का खदेड़ा हो गया। बनारस में अगर श्याम रंगीला खड़े हो गए होते तो शायद मोदी की जीत का मार्जिन कुछ हजार तक सिमट जाता। नरेंद्र मोदी ने अपने अहंकार के कारण प्रभु राम को बेचा। बारम्बार, लगातार। वे राम के पुजारी नहीं बन सके। दक्षिण भारत को जीतने का उनका ख्वाब फिर पूरा नहीं हो सका। आगे भी नहीं होगा। 3 राज्यों-उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बंगाल ने उन्हें धूल चटा दी। महुआ मोइत्रा ने फिर बता दिया कि बंगाल और बंगाली क्या होते हैं। क्यों गोदी मीडिया और बीजेपी बंगाल को नहीं समझ पाई। जो हैसियत बंगाल में ममता बनर्जी की है, वही महाराष्ट्र में शरद पवार ने बता दी। मराठियों ने बखूबी बताया है कि असली राकांपा कौन है। आघाड़ी ने दलबदलुओं की युति को पिछाड़ी मार दी। राजस्थान में सचिन पायलट ने अपने दम पर कांग्रेस को फिर ला खड़ा किया, जो कमलनाथ नहीं कर सके। अपना घर लुटा बैठे। नरेंद्र मोदी मणिपुर नहीं गए तो वोटरों ने 2 सीटें इंडिया को दे दी। अमेठी में सिलेंडर ही फट गया। अब लोग पूछ रहे हैं- स्मृति ईरानी कौन? बलात्कारी प्रज्ज्वल रेवन्ना और टेनी नाम का आतंक भी हार गया। तानाशाह का अहंकार चूर-चूर है। पूरी इमेज का सत्यानाश है। अगले कुछ दिनों में लोग शायद पूछें-कौन मोदी? ब्लैक विडो नाम की एक खौफनाक मकड़ी है। अंडे देने के बाद अपने उसी साथी को खा जाती है, जिसके साथ उसने संबंध बनाए थे। ज़हर भीतर से जिस्म को घोलता जाता है। ज़हर सभी में है, उसे अमृत बनाना ही जीवन है। भारत की जनता ने बता दिया कि अब उसे विष नहीं, मोहब्बत और भाईचारे का अमृत चाहिए। दलाल गोदी मीडिया के आसरे मोदी सत्ता नशे में इस कदर चूर थी कि 1000 साल की योजना और संविधान बदलने का मंसूबा भी पाल लिया। अब बात रोजी-रोटी, रोजगार, महंगाई और गरीब की करनी ही होगी। अडानी-अंबानी को दिया पैसा लौटाना होगा। अगर ऐसा ही होना है तो मोदी का क्या काम? 4 लाख वोटों से जीतने वाले शिवराज क्या बुरे हैं? वैसे ही कौन योगी आदित्यनाथ? वही, जिन्हें यूपी की जनता ने बता दिया कि बुलडोजर से राज नहीं चलता। उत्तम प्रदेश का जुमला हवा में उड़ गया। इससे पहले कि रिजॉर्ट बुक हों, सत्ता की शॉपिंग, पोचिंग हो-एक नई गोलबंदी बीजेपी के खिलाफ होने लगी है। कहीं दूर से पार्टी के भीतर दो गुजरातियों के खिलाफ गोलबंदी है। नितीश कुमार की जुबां पर सरस्वती ने बैठकर मुख्यमंत्री मोदी यूं ही नहीं कहलवाया था। 2024 का संदेश साफ है- हारे नहीं फिर दुनिया से हम, एक बार जो खुद से जीत गए। इसे हमेशा याद रखें।