शहर को लूटने में ये पांच सरकारी एजेंसियां जुटी हैं

शहर को लूटने में ये पांच सरकारी एजेंसियां जुटी हैं
July 29 19:59 2022

हूडा, नगर निगम, स्मार्ट सिटी कम्पनी, एफएमडीए, एचएसआईआईडीसी

फरीदाबाद (म.मो.) शहरीकरण एवं विकास कार्यों के लिये इस शहर में नगर निगम व ‘हूडा’ नामक दो एजेंसियां ही सक्रिय रही हैं। ‘हूडा’ का मुख्य कार्य शहरों की ओर बढ़ते जनसैलाब को सही ढंग से बसाने का दायित्व सौंपा गया है। इसके लिये ‘हूडा’ ने सेक्टरों का निर्माण करके लोगों को प्लॉट बेचने का कार्य किया। कहने को तो ‘हूडा’ बिना किसी लाभ-हानि के यह सेवा उपलब्ध कराता है, परन्तु वास्तव में यहां व्याप्त भ्रष्टाचार ने प्लॉट खरीदने वालों को अच्छे से निचोड़ रखा है।

‘हूडा’ द्वारा बसाये गये सेक्टरों की देख-रेख तथा तमाम नागरिक सुविधायें प्रदान करने का कार्य कुछ वर्षों के बाद नगर-निगम को सौंप दिया जाता है। नगर निगम पुराने शहर के साथ-साथ नये बसे सेक्टरों में भी अपनी सेवाओं का विस्तार करने लगता है। परन्तु ये सेवायें पूरे शहर भर में इस कदर लचर हैं कि सडक़ों पर सीवेज बह रहा है, पेयजल उपलब्ध नहीं, सडक़ कोई साबुत नहीं और गंदगी के ढेर जगह-जगह सड़ते देखे जा सकते हैं। एक सडक़ बनाते हैं तब तक दूसरी टूट चुकी होती हैं। सडक़ बनाने व टूटने का यह सिलसिला लगातार चलता ही रहता है। कमाल तो अब ये भी होने लगा है कि धरती की बजाय फाइलों में ही काम निपटा कर पैसा डकारने लगे हैं।

अब इतनी अंधी लूट किसी एक महकमे के चंद अफसर करते रहें तो राज्य के बाकी अ$फसर बेचारे क्या करेंगे, आखिर उन्हें भी तो इस लूट में से कुछ न कुछ मिलना चाहिये। इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए खट्टर सरकार ने यहां पर स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड खड़ी कर दी है।

इस कंपनी के द्वारा 2600 करोड़ रुपये से अधिक ठिकाने लगा दिये गये हैं। इन्हीं पैसों से अफसरों ने विदेश यात्रायें तक भी कर डाली। काम करने के नाम पर लाखों रुपये मासिक किराये पर दफ्तर तथा आवास ले लिये गये हैं। स्टाफ में अधिकांश लोग वही रखे गये जो पहले से ही नगर निगम फरीदाबाद व गुडग़ांव में मोटी डकैतियां मारने का अनुभव रखते हैं। उक्त रकम खर्च करके इस कम्पनी ने शहर का जो सत्यानाश किया है वह जनता के सामने है।

इससे भी जब तसल्ली नहीं हुई तो खट्टर सरकार ने फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण नाम से एक ओर महकमा खड़ा कर दिया। प्रथम दृष्ट्या देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि ‘हूडा’, नगर निगम व स्मार्ट सिटी कम्पनी, यानी इन सबको खत्म करके शहर के लिये एक ही प्राधिकरण बना दिया जाये। ऐसा इसलिये भी जरूरी लगता है कि उक्त तमाम एजेंसियों के तालमेल में कमी के चलते विकास कम और विनाश अधिक होने का भय बना रहता है।

लेकिन यहां विकास तो मुद्दा ही नहीं है, करना तो विनाश ही है। इस विनाश के लिये बिना किसी ताल-मेल के इन तमाम एजेंसियों को जुटा दिया गया है। मात्र 1760 किलो मीटर लम्बी सडक़ें व लगभग इतनी ही लम्बी सीवर लाइनों की देख-रेख के लिये अकेले नगर निगम में 100 से अधिक छोटे-बड़े इंजीनियर हैं, भले ही उन्होंने कभी इंजीनियरिंग कॉलेज की शक्ल भी न देखी हो पर कहलाते तो एक्सियन, एसई व चीफ इंजीनियर हैं। इसी तरह उक्त तमाम एजेंसियों में भी अनेकों इंजीनियर भरे पड़े हैं। इन तमाम एजेंसियों के ऊपर कम से कम एक आईएएस अफसर का खर्चा भी यहां के नागरिक झेल रहें हैं। काम के बंटवारे को लेकर भी इन एजेंसियों में अच्छी-खासी खींच-तान चलती रहती है। काम तो बेशक प्रत्येक एजेंसी के लिये ठेकेदारों ने ही करना होता है लेकिन कमीशन तो उसी एजेंसी को जायेगा जो पेमेंट करेगी।

एचएसआईआईडीसी (हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रीयल एन्ड इन्वेस्टमेंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) को भी यहां मोटी लूट कमाई के लिये स्थापित कर दिया गया है। यद्यपि यह एजेंसी पहले से ही अच्छा-खासा मोटा माल मार रही थी, उसके बावजूद इसे ‘हूडा’ का औद्योगिक काम भी दे दिया गया है। इस काम के मिलने से तो इस एजेंसी के वारे ही न्यारे हो गये। यह एक तरह से ‘हूडा’ के मुंह से निवाला छीनकर इसे दिया गया है। अब यह ‘हूडा’ के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी सडक़ व सीवर आदि निर्माण के टेंडर जारी कर सकेंगे।

यदि किसी सरकार को जनता के हितों से जरा भी लगाव होता तो इन सब एजेंसियों के स्थान पर केवल एक एजेंसी और उसमें चंद असली इंजीनियर रख कर शहर का विकास भली-भाति किया जा सकता था।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles