200 बेड के इस अस्पताल का नियंत्रण एवं संचालन पूरी तरह से हरियाणा सरकार के पास है। यद्यपि इसके सारे खर्च का मात्र आठवां भाग ही राज्य सरकार खर्च करती है, शेष सात भाग ईएसआई कार्पोरेशन खर्च करती है। इसके बावजूद यह अस्पताल 200 की बजाय केवल 50 बेड ही चला रहा है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि 50 बेड में से भी बमुश्किल 20-25 बेड पर ही मरीज दाखिल रहते हैं। कारण बड़ा स्पष्ट है, न तो यहां पर्याप्त डॉक्टर व अन्य स्टा$फ हैं और न ही दवायें एवं उपकरण उपकरण आदि। यदि सरकार की नीयत ठीक होती और कोरोना काल की भीषण परिस्थितियों से कोई सबक लिया होता तो यहां के भी 200 बेड चालू हो गये होते। तरल ऑक्सीजन भंडारण की व्यवस्था के साथ-साथ अन्य तमाम कमियां भी दूर कर ली गई होती। मजे की तो बात यह है कि ईएसआई कार्पोरेशन के पास मज़दूरों द्वारा दिये गये पैसों की कोई कमी नहीं है। लेकिन नीयत न तो हरियाणा सरकार की ठीक है और न ही कार्पोरेशन की। दोनों का ही जनहित से कोई लेना-देना नहीं।