फरीदाबाद (म.मो.) एनआईटी नम्बर दो ब्लॉक सी और डी में लोगों को गंदे पानी के बीच रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। यहां सीवर का पानी सडक़ों पर नदी की तरह बह रहा है। दीपावली पर भी लोग अपनी घरों की सा$फ स$फाई करके दरवाजे-गेट भी सजा लिये हैं। किंतु जो घर का दरवाजा है वहां सीवर का पानी से बदबू तो आती ही है, इसमें मच्छर भी पनप रहा है जिससे स्वस्थ्य लोग भी बीमार हो गये और जो सही हैं उन्हें भी बीमार होने का खतरा बढ़ता जा रहा हैं।
पहले बरसात का बहाना था। अब तो बरसात भी खत्म हो गई किन्तु नालियों के ओवरफ्लो होने से सीवर का गंदा पानी सडक़ पर भर गया है। जिसके कारण लोगों को घरों से बाहर निकलने में का$फी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सडक़ों और गलियों की बात तो दूर है लोगों के घरों के अंदर तक पानी भरा है। पैदल चलने वाले लोगों को गंदे पानी से होकर ही गुजरना पड़ रहा है। रिक्शा या टैम्पू वाले इस गली में जल्दी आना भी नहीं चाहते।
देखने पर अजीब सा लगता है कि दीपावली के अवसर पर दुकानदार सडक़ के किनारे सीवर में ही अपनी दूकान को सजा कर बैठ गये और लोग सीवर में ही खड़े होकर खरीदारी की। ऐसी है फरीदाबाद स्मार्ट सिटी। आखिर क्या करें इन दुकानदारों की भी मजबूरी है। हां, विधायक सीमा त्रिखा और मेयर सुमन बाला को गालियां देते हैं, गालियां देने से ही इनको क्या होगा?
जिनके घर ऊंचे नहीं है ऊन लोगों के घरों के अंदर तक सीवर का गंदा पानी भरा है, जिसे लोग दीपावली पर घर के सा$फ स$फाई तो करके छोटे- छोटे बल्बों और फूल आदि से रंगोली बना कर सजा लिया। किन्तु ये सीवर के गंदा पानी को क्या करें? सीवर की समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायत भी की लेकिन समस्या का समधान नहीं हुआ। इन लोगों का कहना है कि सीवर की सफाई हम लोग से सम्भव हो पाती तो खुद कर लेते लेकिन क्या करें? टैक्स तो नगर निगम को देते ही हैं फिर भी समस्या का निदान नहीं हो रहा है। यहां के स्थानीय लोगो ंका कहना है कि दीपावली में घरों की कितनी भी साफ-स$फाई करें किंतु बाहर से आने पर इसी सीवर में ही पैर रखकर आना-जाना पड़ता है। कोई भी सामान खरीदने जायें तो सीवर में ही खड़े होकर खरीदना है। यहां तक कि लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, फूल, प्रसाद, मिठाई, बर्तन आदि पूजा-पाठ का कोई भी सामान की खरीदारी इसी सीवर में खड़े होकर की।
कुछ लोगों को तो इस गंदगी में निकलने के कारण स्कीन में खुजली, घाव भी हो गया है और बाहर निकलना भी जरूरी है। चार पहिया वाले तो पार हो जाते हैं किंतु दुपहिया वालों और पैदल चलने वालों की बड़ी मुसीबत है। एक तो गंदे पानी में चलना और ऊपर से बड़े वाहनों द्वारा उछाले गये गंदे पानी से सराबोर होना, जाहिर है घर आकर नहाये-धोये बगैर गुजारा नहीं। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि हम लोगों का यहां घर है तो क्या करें इस नरक में रहना ही है, सीवर को लेकर रिश्तेदारों का भी आना जाना बिल्कुल बंद है। कोई खास जरूरत पडऩे पर ही लोग आते हैं।
सडक़ के किनारे थोड़ा ऊपर से लोग आते-जाते थे वहां भी दीपावली पर दुकानदारों ने अपनी दुकान सजा दिया। अब लोगों के पास कोई रास्ता नहीं। दो-चार दिन तो लोग परेशानी झेल भी लेंगे किंतु लगातार सीवर की गंदगी में रहने से कुछ लोग तो बीमार भी हो गये हैं। और जो सही हैं उनका भी कहना है कि गंदगी में आने-जाने से भयंकर बीमारी भी हो सकती है। कुछ लोगों का कहना है कि हाल ही में निवृत हुई मेयर सुमन बाला ने उन्हें बताया है कि बतौर मेयर उसने तो इस समस्या का समाधान करने के लिये बहुत प्रयास किया था। लेकिन इसके विपरीत स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा नहीं चाहती कि यहां के निवासियों को सीवर समस्या से कोई राहत मिल पाये।