सीएम विंडो का पाखंड शिकायत करने पर अधिकारियों की चलती है दुकान

सीएम विंडो का पाखंड शिकायत करने पर अधिकारियों की चलती है दुकान
November 18 07:40 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) घोषणावीर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सीएम विंडो आम जनता की समस्याओं का निराकरण करने के बजाय जुमला ही साबित हो रही है। जांच की औपचारिकता पूरी करने वाले अधिकारी शिकायतकर्ता को ही दोषी बताकर सीएम विंडो समय में निस्तारण करने का अपना रिकॉर्ड बना कर मुख्यमंत्री को गुमराह होने का अवसर प्रदान करते हैं। इस सब के बीच पीडि़त की समस्या बरकरार बनी रहती है और वो न्याय पाने के लिए उन्ही अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर होता है जो पहले ही उसकी शिकायत खारिज कर चुके हैं।

नेहरू ग्राउंड बी ब्लॉक व्यावसायिक क्षेत्र है। यहां मुख्य डाकघर के पास व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बीच ही कई शीट कटिंग की पावर प्रेस लगी हुई हैं। इन पावर प्रेस के चलने से काफी शोर और ध्वनि प्रदूषण होता है। स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले हेम जैन बताते हैं कि ध्वनि प्रदूषण से परेशान कई दुकानदारों ने उनके साथ सितंबर 2022 में सीएम विंडो पर शिकायत की थी। मामले की जांच एसडीएम बडख़ल को सौंपी थी। एसडीएम कार्यालय ने जांच करने मेें चार महीने निकाल दिए और जनवरी 2023 में गोलमोल आदेश जारी किए जिसमें कोई राहत नहीं मिली। दुकानदारों ने दोबारा पैरवी की तो एसडीएम कार्यालय ने जून 2023 में निर्णय सुनाया कि शिकायत गलत है, ध्वनि प्रदूषण का कोई मामला नहीं है, दुकानदार निजी रंजिश के कारण शिकायत कर रहे हैं।

आदेश से हैरान परेशान हेम जैन ने ट्विटर सहित अन्य सोशल मीडिया पर सीएम विंडो के फैसले के खिलाफ लिखना शुरू किया। काम नहीं लेकिन काम का ढिंढोरा पीटने वाली खट्टर सरकार के सोशल मीडिया पर नजर रखने वाले अधिकारियों ने सरकार की बदनामी होती देखी तो हेम जैन से संपर्क किया। 26 सितंबर 2023 को उन्हें चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री आवास कबीर कुटीर बुलाया गया। वहां सीएम सेल में बैठे सत्ता के दलाल भूपेश्वर दयाल नाम के अधिकारी ने उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

इसके साथ ही दुकानदारों की सीएम विंडो शिकायत दोबारा खोल दी गई। इसके बाद डीसी विक्रम सिंह ने मामले की जांच के लिए एडीसी की अध्यक्षता वाली एक कमेटी का गठन किया। यहां समझने की बात केवल इतनी है कि लोहे की शीट काटते वक्त कितना और किस तरह का शोर होता है इसके कभी भी कोई भी अधिकारी आता जाता देख सुन सकता है। इसके लिए कमेटी का नाटक करने की कोई आवश्यकता बनती नहीं है। सीएम विंडो खुले और जांच कमेटी का गठन हुए डेढ़ महीने से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन आज तक न तो किसी ने शिकायतकर्ता से जानकारी ली है और न ही जांच के लिए कोई आया, जाहिर है कि किसी की रुचि समस्या का हल करने में नहीं है। सभी संबंधित अधिकारी शोर मचाने वाले से चुग्गा पानी लेकर निकल लेते हैं।

पावर शीट कटर मशीनों से निकलने वाला शोर आसपास के दुकानदारों के लिए असहनीय होता है। हेम जैन के अनुसार दुकानदार इसकी शिकायत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम में भी कर चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने ध्वनि प्रदूषण होना तो माना लेकिन दुकानदार को नोटिस तक नहीं जारी किया गया।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles