करनाल। इनेलो के टिकट पर 2014 के विधानसभा चुनाव में सीएम खट्टर को टक्कर देने वाले शहर के वर्तमान भाजपा नेता मनोज वाधवा को पार्टी लाइन से इतर चलना महंगा पड़ा। बृहस्पतिवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने उनके घर पर छापा मारा। टीम देर शाम तक उनके घर को खंगालती रही और दस्तावेजों का पुलिंदा इकट्ठा किया।
इनेलो में कद्दावर नेता रहे मनोज वाधवा को पहला झटका मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ इलेक्शन लडऩे से लगा था। तब सरकार ने इस खनन कारोबारी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री के सामने हार के बावजूद जनता ने मनोज को डिप्टी मेयर के चुनाव में जीत दिलाई। इनेलो का होने के कारण मनोज वाधवा भाजपा और उसकी नीतियों के खिलाफ मुखरता से बोलते, इससे स्थानीय भाजपा नेताओं से उनका बैर हो गया। बताया जाता है कि सीएम खट्टर के खास इन भाजपा नेताओं ने उन्हें मनोज के खिलाफ भडक़ा दिया इसके बाद सरकार मनोज और उनके परिवार पर दबाव बनाने पर उतर आई। 2017 में पुलिस मनोज के छोटे भाई सोनू वाधवा को घर से उठा ले गई और थाने में बेइज्ज्त कर रात तक बैठाए रखा। रात में छोड़े जाने पर अपमानित महसूस कर रहे सोनू ने घर न जाकर नहर में छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली थी। मनोज ने भाई की आत्महत्या के लिए सीधे सीएम मनोहर लाल खट्टर पर आरोप लगाए थे।
पिछले मेयर चुनाव में मनोज ने पिछले मेयर चुनाव में अपनी पत्नी आशा वाधवा को भाजपा प्रत्याशी के सामने उतारा था। भाजपा प्रत्याशी पर भारी पड़ रही आशा को हराने के लिए खुद सीएम खट्टर को चुनाव के अंतिम बारह दिन लगातार करनाल में रुक कर प्रचार करना पड़ा था। जातिवादी राजनीति के विरोध का पाखंड करने वाले खट्टर ने तो पंजाबी वोटरों को लुभाने के लिए यहां तक कह दिया था कि उनसे बड़ा पंजाबी और कौन हो सकता है। यही नहीं पूरा मंत्रीमंडल और अभिनेताओं का प्रचार तंत्र भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में झोंक दिया गया था।
कड़ी टक्कर के इस मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी को जीत हासिल हो सकी थी। मनोज वाधवा के बढ़ते कद के कारण सरकार और प्रशासन का दबाव उन पर बढऩे लगा यहां तक उनके खिलाफ खनन के मामले में एफआईआर भी दर्ज कर दी गई। मेयर चुनाव में मनोज वाधवा की ताकत से घबराए सीएम खट्टर ने प्रशासन को मनोज के खैरख्वाहों और समर्थकों को घेरना शुरू कर दिया। सरकार के दबाव में आए समर्थकों ने मनोज को भाजपा में शामिल हो कर उन्हें बचाने की सलाह दी। दबाव बढ़ता देख मजबूर होकर उन्होंने 2021 मे भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा में रहने के बावजूद मनोज सरकार के हर जनविरोधी फैसलों का जमकर विरोध करते। पार्टी के अंदर बगावती तेवर के कारण काफी समय से उन्हें सबक सिखाए जाने की तैयारी चल रही थी। अब मेयर पद का चुनाव करीब आते ही मनोज वाधवा फिर सक्रिय हो गए। बीते कुछ दिनों में पूरे शहर में उनके बैनर पोस्टर नजर आने लगे। उनकी तैयारियों से माना जा रहा था कि वे मेयर पद पर फिर से हाथ आजमाएंगे। उन्होंने ये काम भाजपा के पदाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना किया था। इधर कांग्रेस के कुछ नेता भी उनके संपर्क में थे जो उन्हें मेयर सीट के लिए समर्थन देने का आश्वासन दे रहे थे। माना जा रहा है कि भाजपा ने मेयर पद का प्रत्याशी पहले से ही तय कर रखा है, मनोज वाधवा पार्टी लाइन से इतर जाकर काम कर रहे थे।
हालांकि मनोज वाधवा न तो राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं और देखा जाए तो देश में कहीं अधिक बड़े खनन माफिया मौजूद हैं। लेकिन ईडी को उनके कारगुजारियां गड़बड़ लगीं तो बृहस्पतिवार को उनके घर टीम आ धमकी। अब देखना ये है कि मनोज वाधवा भाजपा के सच्चे शरणार्थी बनते हैं या फिर बगावती तेवर ही अपनाए रहेंगे। खैर, ईडी जांच की मुहर तो उन पर लग ही गई है, अब उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है ये तो ईडी के आला अधिकारी ही तय करेंगे।